हरियाणा में प्रदूषण स्तर फिर बना चिंतनीय विषय,केवल पंचकूला के हालात सामान्य

कुरुक्षेत्र I प्रदेश में प्रदूषण का स्तर एक बार फिर चिंताजनक स्तर को छू रहा है. वैसे तो बीते कुछ महीनों से कोरोना संक्रमण के चलते पर्यावरण स्वच्छता में काफी सुधार आया था क्योंकि इस दौरान वाहनों की आवाजाही कम होने,विभिन्न कारखानों के बन्द होने से इनसे निकलने वाले धुंए में कमी होने से शुद्ध हवा वातावरण में फैली हुई थी. परन्तु अब जब स्थिति फिर से सामान्य हो रही है, सभी चीजें धीरे धीरे अपनी पूरानी दिनचर्या से चलने लगी हैं तो पर्यावरण की दशा फिर से बिगड़ने लगी है.

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प्रदेश के स्वच्छ शहर में पंचकूला एकमात्र ऐसा शहर है जिसका एक्यूआईए 100 से नीचे 69 है. जबकि अप्रैल माह में अधिकांश जिलों का स्तर 100 से नीचे था,जो स्वच्छ हवा को इंगित करता है. विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा स्वच्छ पर्यावरण 1970 के बाद इसी साल देखने को मिला था. परन्तु अब हरियाणा के 18 जिलों में स्थिति मध्यम स्तर की है जबकि यमुनानगर, चरखीदादरी व फरीदाबाद में तो इसको लेकर हालात काफी चिंताजनक हैं.

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विषैली गैसों से हो रही ज्यादा परेशानी
इस मौसम में सबसे ज्यादा दिक्कत सांस,दमा के रोगियों व वृद्ध इत्यादि लोगों को होती है जिससे उनका सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है.क्योंकि अब धान की पराली अन्य फसल अवशेषों के जलने तथा कारखानों से निकलने वाले धुंए में कार्बनडाई ऑक्साइड, सल्फरडाई ऑक्साइड,नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी विषैली गैसें होती हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं.
पड़ोसी राज्य पंजाब में फॉयर लोकेशन 1424 तक हैं, एक अक्टूबर को पंजाब में यह 289 जगह रही जबकि पिछले साल की तुलना में इस बार हरियाणा में 6 गुना अधिक फॉयर लोकेशन है.जो काफी चिंतनीय विषय है.इसलिए इस दिशा में आमजन व प्रशासन दोनों को सार्थक प्रयास करने होंगे जिससे हालात फिर से सामान्य स्तर पर पहुँच सकें.

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