कुरुक्षेत्र में है शेखचिल्ली का मकबरा, हुबहू ताजमहल जैसी धरोहर का दिलचस्प है इतिहास

कुरुक्षेत्र | भारत का इतिहास आज भी कुछ ऐसे किस्से और कहानियां से भरा पड़ा है, जिनसे लोग परिचित नहीं हैं. आज भी कई ऐतिहासिक धरोहरें हिंदुस्तान के गौरव को बढ़ा रही है. इसी कड़ी में हम यहां जिक्र कर रहे हैं, हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में स्थित थानेसर शहर में बनें शेखचिल्ली के मकबरे की, जिसे हरियाणा के ताजमहल की संज्ञा दी जाती है.

kurushetra Makbara

बनावट भी मिलती- जुलती

इस मकबरे के निर्माण में भी वही पत्थर इस्तेमाल किया गया है जो आगरा के ताजमहल में लगा है. इसकी बनावट भी ताजमहल से मिलती- जुलती है. यही कारण है की देश के प्रमुख राष्ट्रीय स्मारकों में शुमार इस मकबरे को हरियाणा का ताजमहल कहा जाता है.

1650 ईस्वी में हुआ निर्माण

आज दिल्ली से अमृतसर तक चले जाइए. आपको बीच रास्ते कोई भी ऐसा स्मारक नहीं मिलेगा, जिसमें शाहजहां के समकालीन संगमरमर का प्रयोग किया गया हो लेकिन इस मकबरे में आपको ये चीज देखने को मिलेगी. प्रसिद्ध सूफी संत शेख चेहली की याद में दाराशिकोह ने लगभग 1650 ई. में इसका निर्माण करवाया था. यह मकबरा दाराशिकोह के पठन-पाठन और आध्यात्मिक ज्ञान का भौतिक प्रतीक था. मकबरे की स्थापत्य कला बेजोड़ है जो हर्ष के टीले के नाम से विख्यात प्राचीन टीले के पूर्वी किनारे पर स्थित है.

भारत घूमने आया था शेखचिल्ली

इतिहासकारों का कहना है कि जब शेख चिल्ली ईरान से हिंदुस्तान घूमने आया था. तब उसे पता चला कि जाने- माने विद्वान जलालुद्दीन साहब साबरी कुरुक्षेत्र में रहते हैं. शेखचिल्ली ने उनसे मिलने की पक्की ठान ली और जब वो उनसे मिलने यहा आए तो इसी भूमि के होकर रह गए.

शिष्य ने बनवाया मकबरा

शेखचिल्ली की मृत्यु के बाद उनके शिष्य ने इस मकबरे का निर्माण करवाया. समय के साथ इस टीले का अस्तित्व धूमिल होता गया लेकिन अब हरियाणा सरकार ने इसे पुरातात्विक विभाग को सौंप दिया है. जिसके बाद इसे फिर से पूर्ण जीवित किया गया है.

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