हरियाणा की इन मंडियों में नहीं होगी गेहूं की सरकारी खरीद, जानिए क्या है नया नियम

कुरुक्षेत्र | हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के डिविजनल मैनेजर, एफसीआई, डीएफएससी और हैफेड अधिकारियों के साथ 8 मार्च को बैठक की. इस बैठक के दौरान कुरुक्षेत्र और कैथल दोनों के जिला अधिकारी मौजूद थे. बैठक पर फैसला लिया गया कि आगामी फसल खरीद 2022 -23 में एजेंसियां गेहूं को कुरुक्षेत्र और कैथल अनाज मंडियों में ना डालें. बल्कि गेहूं की तैयार पैदावार को सीधे सोलुमाजरा स्थित अडानी एग्रो साइलो में भेजा जाए.

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बैठक में फैसला लिया गया कि इस बार अनाज मंडियों में बारदाना भी नहीं भेजे जाएंगे. यह फैसला 15 मार्च को जारी किया गया. बैठक के इस फैसले को लेकर कांग्रेस की राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने ट्वीट करते हुए इस मुद्दे और हरियाणा सरकार पर अनाज मंडियों को बंद करने का आरोप लगाया. राज्य कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि खुले बाजार में अनाज पड़े रहने से खराब हो जाते हैं. ऐसे में अनाजों को सुरक्षित रखने के लिए अडानी गोदाम में स्टॉक करवाने के निर्देश दिए गए हैं इससे किसानों को बेहद फायदा होगा.

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वही हरियाणा सरकार के इस फैसले के खिलाफ कैथल के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं किसानों का कहना है कि राज्य सरकार ने पिछले साल 3 मंडियों पर ताला लगाया था और इस बार 6 मंडियों पर ताला लगा दिया गया है. किसानों के मुताबिक कैथल में सोलू, माजरा ढांड, कोल, पिहोवा, पूंडरी और गुमथला गडू अनाज मंडी आंख बंद होने से सैकड़ों मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे साथ ही किसानों का यह भी कहना है कि अडानी गोदाम में किसानों द्वारा उत्पादित गेहूं के स्टोरेज के पूरे इंतजाम नहीं है.

वहीं किसानों का यही कहना है कि पिछली बार जब गूंगा दामों में गया तो 3 से 4 दिन तक किसानों को गेट के बाहर 7 से 8 किलोमीटर की लंबी लाइन में खड़ा होना पड़ा. इसके अलावा गेहूं खरीद के सरकारी नियमों पर खरा नहीं उतरने का हवाला देकर 30% किसानों को गेहूं वापस भेज दिया जाता है. जिससे किसानों का समय खराब होता है साथ ही तैयार फसल के खराब होने का खतरा मंडराने लगता है.

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इसके अलावा गेहूं के ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी बर्बाद होता है किसानों के मुताबिक अलग-अलग जिलों की सभी छह मंडिया बंद की गई है जिसकी वजह से अडानी गोदाम में अफरा-तफरी का माहौल बन जाएगा.

किसानों को गुरु बेचने के लिए 8 से 10 दिन लाइन में लगना पड़ेगा और अगर गोलू को रिजेक्ट कर दिया जाता है तो किसानों का भारी नुकसान होगा. किसानों का कहना है कि अडानी का गोदाम 30 से 40 किलोमीटर दूरी पर है अधिकतर किसानों के पास अपनी गेहूं की ट्रॉली नहीं होती ऐसे में उन्हें किराए पर ट्रॉली लेनी पड़ती है. ऐसे में अगर किसान को 8 से 10 दिन तक लाइन में खड़ा होना पड़ता है तो ट्रॉली का किराया इतना अधिक हो जाता है कि उसकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है. पुरानी व्यवस्था के अनुसार किसान मंडी तक गेहूं लेकर आता था और कुछ ही देर में मंडी में उतार देता था. इसके बाद खाली जगह पर गेहूं को उतरवा दिया जाता था. किसान गेहूं को मजदूरों से साफ करवा कर नियम के अनुसार बोली करवा कर भेज देते थे.

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लेकिन अडानी गोदाम में ऐसी व्यवस्था नहीं है. पुलिस जिले के किसानों को यहां 4 से 5 दिन का इंतजार करना पड़ता है क्यों किस जिले की 6 अनाज मंडी या बंद कर दी गई.

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