हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (HSBE) सवाल के घेरे में है। बोर्ड ने गांव चौधरीवास की रहने वाली दिव्यांग छात्रा सुप्रिया के साथ भद्दा मजाक किया है। दसवीं बोर्ड परीक्षा में इस होनहार छात्रा को गणित के पेपर में महज दो अंक दिए गए। इसके बाद उसने री-चेकिंग का आवेदन दिया तो उसे गणित में 100 में से 100 नंबर मिले।
- हरियाणा बोर्ड का भद्दा मजाक, सभी विषयों में दिए थे 90 परसेंट से ऊपर नंबर, मैथ में आए थे दो नंबर
दरअसल सुप्रिया के अन्य सभी विषयों में 90 फीसद से ऊपर नंबर हैं। गणित में दो नंबर देखकर सुप्रिया काफी दुखी हुई और गुमसुम रहने लगी। सुप्रिया के पिता छाज्जू राम निजी स्कूल में गणित के शिक्षक हैं। उन्हें भी सुप्रिया के नंबरों पर विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने खुद पेपर के विषय में सुप्रिया से जानकारी ली थी और उसके सभी प्रश्नों के उत्तर ठीक थे।
- अब छात्रा सुप्रिया की खुशी का ठिकाना नहीं, बोर्ड ने नार्मल विद्यार्थियों की तरह कर दिए थे पेपर चेक
इसके बाद सुप्रिया के पिता ने री-चेकिंग का फार्म भरा। अब सुप्रिया के 100 में से 100 अंक आए हैं। सुप्रिया गरीब परिवार से है। बोर्ड के चक्कर काटने और फार्म भरने में करीब पांच हजार रुपये परिवार के खर्च हो गए। पिता छाज्जू राम ने बताया कि बोर्ड की लापरवाही के कारण उनको आर्थिक नुकसान तो हुआ ही साथ ही पूरे परिवार को मानसिक रूप से परेशानी अलग से हुई। री चेकिंग का फार्म भरने के बाद सुप्रिया ने बोर्ड की परीक्षा में हिंदी में 91, अंग्रेजी में 99, गणित में 100 में से 100, एसओएस में 89, एससीटी में 98 और एमएचवी में 99 अंक आए हैं।
- सुप्रिया ने अंग्रेजी में 99, एमएचवी में 99 अंक आए हैं, कुल अंक 500 में से 489 हैं
सुप्रिया की आंखों की रोशनी काफी कम है। ऐसे विद्यार्थियों के लिए नियम है कि वह परीक्षा में अपने साथ राइटर ले जाते हैं। गणित के पेपर सभी विषयों से अलग होते हैं। इसमें ए, बी और सी कोड के प्रश्न पेपर आते हैं। राइटर का काम प्रश्न बोलना और परीक्षार्थी जो उत्तर देता है, वह लिखना होता है।
छाज्जूराम ने बताया कि सुप्रिया की गणित की उत्तर पुस्तिका नार्मल विद्यार्थियों के साथ चेक कर दी गई जिसके कारण उसके उत्तर अलग दिखे और उसे महज दो नंबर ही मिल पाए। पिता ने बताया कि जब उन्होंने सुप्रिया की उत्तर पुस्तिका निकलवाई तो पता चला की इसके सभी उत्तर ठीक हैं।
”बच्ची ने प्रश्न पत्र पर जो कोड अंकित होता है वह उत्तर पुस्तिका पर नहीं लिख रखा था। ऐसे में यह पेपर रूटीन वाले पेपर के साथ चेक हो गया। हमने बच्चे से कोई री-चेकिंग की फीस नहीं ली। इस संबंध में बीईओ से भी मेरी बात हुई थी।
– जगबीर सिंह, चेयरमैन, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड
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