टैक्स देने वाले लोगों के लिए सरकार बड़ी खुशखबरी लेकर आ रही है. सरकार उनके लिए चार्टर ऑफ राइट्स लेकर आ रही है. जिसमे सभी टैक्सदाताओं के अधिकारों और कर्तव्यों का पूरा विवरण होगा. जिसके आने से आयकर विभाग भी उन्हें समयबद्ध सेवाएं देने को बाध्य होगा. चूंकि राष्ट्र निर्माण में ईमानदार करदाताओं का योगदान उल्लेखनीय है क्योंकि ये अर्थव्यवस्था का आधार हैं. इसलिए, चार्टर ऑफ राइट्स से इनके अधिकारों को सुरक्षा मिलेगी व टैक्स दरों में रियायत के साथ पारदर्शिता भी आएगी.
विश्व के गिने-चुने विकसित देशों में ही अभी चार्टर ऑफ राइट्स का प्रावधान है. जिनमें विकसित देश अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया इत्यादि शामिल हैं. भारत भी इसी तर्ज पर अब इस सूची में शामिल होने जा रहा है.
वित्तमंत्री ने बताया कि आत्मनिर्भर अभियान के तहत इसकी घोषणा की गई है. इससे करदाताओं को कर भरने में भी सुविधा होगी क्योंकि टैक्सव्यवस्था में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी. प्रधानमंत्री ने बताया कि इसके लिए फेसलेस असेसमेंट की सुविधा कम की गई है. छंटनी को कम करके अन्य सुविधाएं शुरू की गई हैं. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि 2019 में कॉरपोरेट टैक्स दरों को कम करके भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया है. जहाँ टैक्स दर कम हैं तथा कॉरपोरेट सेक्टर में करव्यवस्था सुसंगत है. अगर यह चार्टर आता है तो इसे सांविधिक दर्जा मिल सकता है.
क्या होता है चार्टर?
जब कोई देश अपने नागरिकों, कम्पनियों या दूसरी तरह की फर्मों, सेवा सेक्टरों के अधिकार तय करती है तो उसे चार्टर कहा जाता है. जिससे सरकार व नागरिकों के बीच परस्पर विश्वास की भावना आती है. अतः अब इस चार्टर से करदाताओं के अधिकारों की भी सुरक्षा होगी तथा सरकार व करदाता दोनों पक्ष अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे.
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