पंचकुला । हरियाणा रोडवेज निजीकरण के बारे में जानकारी साझा करते हुए हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने कहा कि हरियाणा रोडवेज का किसी भी सूरत में निजीकरण नहीं होगा. कर्मचारी संगठनों के साथ बातचीत में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार का ऐसा कोई विचार नहीं है रोडवेज का निजीकरण किया जाए. परिवहन मंत्री ने बताया कि ऐसी कोई योजना सरकार की होती तो विभागों में नई भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं होती. हड़ताल संबंधित कर्मचारियों से एस्मा हटाने के बारे में संबंधित डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी को पत्र लिखा जा चुका है.
परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा के साथ विभाग के नए प्रधान सचिव आईपीएस अधिकारी शत्रुजीत कपूर भी कर्मचारियों नेताओं से बातचीत में शामिल हुए. कपूर ने कर्मचारी नेताओं से कहा कि उनकी प्राथमिकता विभाग एवं कर्मचारियों की रक्षा और जनता के हितों का ध्यान रखना है. यदि कोई भी बिना परमिट की बस के चलने की जानकारी इनको मिलती है तो वे इस जानकारी को आरटीए सचिव को भी दें सकते हैं.
मूलचंद शर्मा ने कर्मचारी नेताओं से कहा कि वे कर्मचारियों को एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, कॉरपोरेशन और भारतीय स्टेट बैंक में अपना अकाउंट खुलवाने के लिए कहे, ताकि उनके द्वारा 35लाख रुपए तक की दुर्घटना बीमा सुविधा का लाभ उठाया जा सके. प्राकृतिक बिट्टू के मामले में मृतक कर्मचारियों के परिजनों को ₹10 लाख तक की बीमा राशि मिलेगी. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के कारण विभाग की बहुत सी योजनाएं प्रभावित हुई है. अन्यथा 867 बसें परिवहन विभाग के बेड़े में शामिल हो गई होती.
मंत्री द्वारा जानकारी साझा करते हुए बताया गया कि जल्द ही सरकार परिवहन विभाग के बेड़े में इलेक्ट्रिक और सीएनजी बसों को शामिल करने का विचार कर रही है. भविष्य में जब भी नई बसें खरीदी जाएगी, उनका रखरखाव व अनुबंध करवाना सुनिश्चित किया जाएगा. या फिर कर्मचारियों के उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी. मंत्री द्वारा दिसंबर तक 250 पदों का भरोसा दिलाया गया. बता दे कि परिचालक के लिए बस में 52 नंबर और स्टाफ के लिए 1 नंबर सीट निर्धारित की गई है.
एचईआरसी के कर्मचारियों के बारे में मंत्री ने कहा अगर उनके पास कोई काम नहीं होता तो उन्हें रोडवेज के विभागों में एडजस्ट किया जाएगा. काम शुरू होने पर दोबारा उन्हें वही भेज दिया जाएगा. विभाग ने यार्ड मास्टर के 82 पद स्वीकृत किए गए हैं. इसके साथ ही ड्यूटी सेक्शंस में भी दो चालको की ड्यूटी के निर्देश दिए गए है. विभागों में ऑनलाइन ट्रांसफर शुरू होने के बावजूद उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि कर्मचारियों को उसी स्थान पर लगाया जाए जहां से उनको सुविधाओं हो.
दूसरे राज्यों में बस दुर्घटना होने पर चालक की जमानत के बारे में भी कोई न कोई रास्ता निकाला जाए इसके बारे में विचार किया गया. ड्यूटी क्लर्क और बिल्डिंग क्लर्क को 6 महीने में बदलने के निर्देश दिए गए ताकि भ्रष्टाचार की सभी गुंजाइशों को खत्म किया जा सके.
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