नई दिल्ली । 17 नवंबर को लक्ष्मी विलास बैंक पर 1 महीने के लिए मोरटोरियम लगाया गया था. परंतु इसके ठीक 10 दिनों के पश्चात 27 नवंबर को लक्ष्मी विलास बैंक का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. इस संकटग्रस्त लक्ष्मी विलास बैंक के DBS इंडिया में विलय को केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई है. इसके अनुसार 27 नवंबर को लक्ष्मी विलास बैंक का नामो निशान मिट जाएगा.
94 वर्ष तक रहा लक्ष्मी विलास बैंक
इस विलय नियम के अनुसार लक्ष्मी विलास बैंक के शेयर 27 नवंबर को एक्सचेंज से डीलिस्ट हो जाएंगे. इसके बाद लक्ष्मी विलास बैंक की सभी ब्रांच का नाम बदल दिया जाएगा और DBS इंडिया नाम हो जाएगा. लक्ष्मी विलास बैंक का नाम 94 वर्ष की अवधि पूर्ण करने के पश्चात समाप्त हो जाएगा और साथ ही इसकी इक्विटी भी पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगी. अब DBS इंडिया के पास इस बैंक का पूरा डिपॉजिट चला जाएगा.
लक्ष्मी विलास बैंक का इतिहास
तमिलनाडु के करूर में कुछ कारोबारियों ने मिलकर लक्ष्मी विलास बैंक की शुरुआत की थी. आरंभ में यह बैंक छोटे-छोटे बिजनेस को ऋण देता था. धीरे-धीरे बैंक का दायरा बढ़ता गया. बैंक की ऑफिशल वेबसाइट पर जो जानकारी मिलती है उसके अनुसार 7 लोगों ने मिलकर इस बैंक की शुरुआत की थी.
इंडियन कंपनीज एक्ट 1913 के अंतर्गत लक्ष्मी विलास बैंक ने 3 नवंबर 1926 से सामान्य बैंक के रूप में कार्य करना आरंभ कर दिया था. फिर 10 नवंबर 1926 को बैंक को बिजनेस शुरू करने का सर्टिफिकेट प्राप्त हुआ था. उसके बाद 19 जून 1958 को लक्ष्मी विलास बैंक को RBI से बैंकिंग लाइसेंस मिला और 11 अगस्त 1958 को लक्ष्मी विलास बैंक शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक बन गया.
देश में पहली बार हो रहा ऐसा विलय
भारत में ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी भारतीय बैंक को डूबने से बचाने हेतु किसी विदेशी बैंक में विलय किया जा रहा है. भारत सरकार के इस फैसले से बैंक के 4000 कर्मचारियों और 20 लाख डिपॉजिटर को राहत मिलेगी. लक्ष्मी विलास बैंक को बचाने के लिए RBI ने DBS इंडिया बैंक में विलय का मार्ग सुझाया था.
जाने DBS इंडिया के बारे में
DBS इंडिया एशिया का एक प्रमुख वित्तीय सेवा ग्रुप है जिसका मुख्यालय सिंगापुर में है और इसकी 18 बाजारों में उपस्थिति है. DBS इंडिया सिंगापुर के शेयर बाजारों में भी लिस्टेड है. इस विलय के बाद भी DBIL का संयुक्त बैलेंस शीट मजबूत रहेगा और इसकी शाखाएं बढ़कर 600 हो जाएगी.
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