नए कृषी कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, पढ़ें सुप्रीम कोर्ट में हुई जबरदस्त बहस

चंडीगढ़ | आज नए कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है. सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय को सुनकर केंद्र सरकार को बहुत बड़ा झटका लगा है. तीनों नए कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगा दी गई है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा 4 सदस्यों की एक कमेटी का गठन किया गया है. मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे के नेतृत्व वाली बेंच ने इस निर्णय को सुनाया है.

Supreme Court

गठित की 4 सदस्यी समिति

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई समिति में जो चार सदस्य शामिल किए गए हैं, वह हैं – बीकेयू के अध्यक्ष डॉक्टर प्रमोद जोशी, जितेंद्र सिंह मान, अंतरराष्ट्रीय नीति प्रमुख अशोक गुलाटी, कृषि अर्थशास्त्री अनिल धनवंत, शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र.

सुप्रीम कोर्ट में हुई कुछ इस तरह बहस

आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश किसानों के वकील और सरकारी वकील के बीच क्या-क्या बहस हुई यह पढ़े:-

याचिकाकर्ता एम एल शर्मा ने कहा- किसान किसी भी कमेटी के सामने जाना नहीं चाहते. किसान केवल इन नए कृषि कानून को रद्द करवाना चाहते हैं. किसानों को कॉरपोरेट्स हाथों में छोड़ देने की तैयारी हो रही है. ऐसे तो किसानों की जमीन छीन ली जाएगी.

सीजेआई- हम अंतिम निर्णय में स्पष्ट कर देंगे कि किसानों के साथ जमीन के संबंध में कोई कांट्रेक्ट नहीं किया जाएगा.

शर्मा- किसान कल मरने की अपेक्षा आज मरने को तैयार हैं.

सीजेआई- हम इस मुद्दे को जीवन मृत्यु के मामले की तरह नहीं देख रहे हैं. हमारे सामने केवल कानून की वैधता का प्रश्न है. हमारे हाथ में कानूनों के अमल को स्थगित रखना है. बाकी मामलों को लोग कमेटी के सामने उठा सकते हैं.

शर्मा- हम सबकी आखरी उम्मीद केवल कोर्ट ही है.

सीजेआई- वकीलों को न्यायिक प्रक्रिया का आदर करना चाहिए. ऐसा नहीं हो सकता कि जब कोर्ट का आदेश सही ना लगे तो उसे अस्वीकार करने लगे.

शर्मा- मैंने पूर्व सीजेआई खेहर सहित कुछ अन्य नाम भी सुझाए हैं.

सीजेआई- बाकी लोग भी नाम सुझाए. हम इस पर विचार करेंगे.

सीजेआई- खबर मिल रही है कि गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम को बाधित करने की तैयारियां की जा रही है. प्रश्न यह है कि लोग समस्या को बनाए रखना चाहते हैं या समस्या का हल चाहते हैं. अगर किसान समस्या का हल चाहते हैं तो किसान यह नहीं कहेंगे कि हम कमेटी के पास नहीं जाएंगे.

शर्मा- किसान यह भी कह रहे हैं कि बैठक में सभी लोग आ रहे हैं, परंतु प्रधानमंत्री बैठक में क्यों नहीं आ रहे?

सीजेआई- प्रधानमंत्री को हम नहीं कहेंगे कि वह इस बैठक में आए.

सॉलीसीटर- यह कृषि मंत्री का विभाग है और कृषि मंत्री इस पर बात कर रहे हैं.

सीजेआई- हम कानून के अमल को स्थगित कर देंगे. लेकिन यह अनिश्चित काल के लिए नहीं होगा. हमारा उद्देश्य केवल सकारात्मक माहौल फैलाना है. किसी भी प्रकार की नकारात्मक बात नहीं होना चाहिए, जैसे आज सुनवाई के आरंभ में एम एल शर्मा ने की.

(शर्मा ने कहा था कि कोई भी किसान कमेटी के पास नहीं जाएगा. कानून को रद्द किया जाए.)

भारतीय किसान यूनियन के वकील- महिलाएं, बच्चे एवं बुजुर्ग आंदोलन में हिस्सा नहीं लेंगे.

सीजेआई- हम आपके इस बयान को रिकॉर्ड में ले रहे हैं. किसान संगठनों के वकील दुष्यंत दवे, गोंजाल्विस, भूषण स्क्रीन पर कहीं नजर नहीं आ रहे हैं.

सीजेआई- कल दुष्यंत दवे ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई को टाल दिया जाए. वह किसानों से वार्ता करेंगे. आज वह कहां गए?

साल्वे- दुर्भाग्य से ऐसा लगता है कि लोग समाधान चाहते ही नहीं. आप कमेटी का गठन कर दीजिए, जो कमेटी में जाना चाहते हैं, वह जाएंगे.

साल्वे- इस किसान आंदोलन में वैंकूवर के संगठन सिख फॉर जस्टिस के बैनर भी लहराते हुए नजर आ रहे हैं. यह एक अलगाववादी संगठन है जो अलग खालीस्थान चाहता है. कोर्ट की कार्रवाई से यह संकेत बिल्कुल भी नहीं जाना चाहिए कि गलत लोगों को शय दी जा रही है.

सीजेआई- हम केवल सकारात्मकता को ही शय दे रहे हैं.

आंदोलनकारी किसानों के वकील विकास सिंह- दिल्ली में किसानों को रामलीला मैदान में जगह दी जाए, जहां से मीडिया प्रेस भी उन्हें देख सके.

सीजेआई- किसी भी रैली के लिए प्रशासन को आवेदन दिया जाता है. पुलिस प्रशासन की भी अपनी शर्तें होती हैं. इन शर्तों का पालन करने पर ही रैली के लिए अनुमति दी जाती है. यदि इन शर्तों का पालन नहीं किया जाता तो अनुमति रद्द कर दी जाती है. क्या किसी ने आवेदन दिया?

सिंह- इस संबंध में पता करना होगा.

पीएस नरसिम्हा- आंदोलन में प्रतिबंधित संगठन भी लगे हुए हैं.

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