नई दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अपने बेधड़क अंदाज और निडर निर्णयों के लिए पूरे विश्व में विख्यात हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 6 वर्ष के कार्यकाल में ऐसे ऐसे फैसले लिए हैं. जिनसे भारत देश-विदेशों में भी चर्चा का विषय बना रहा है. चाहे वह फैसला कश्मीर में धारा 370 हटाने का हो, ट्रिपल तलाक का हो या फिर नोटबंदी का ही क्यों ना हो.
नोटबंदी का निर्णय सबसे अहम
लगभग 4 वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह ऐतिहासिक निर्णय लिया था कि भारत देश में 500 और 1000 के सभी नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे. इस फ़ैसले की घोषणा उन्होंने देश के नाम अपने संबोधन में की थी.
पीएम ने अचानक की नोटबंदी की घोषणा – लोग हैरान
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को रात 8:15 बजे घोषणा की कि 500 और 1000 के नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे. उनके इस फैसले ने देश की जनता को उनके प्रति अविश्वास की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया था. देश की जनता को उम्मीद थी कि उस रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत व पाकिस्तान के संबंध में व दोनों देशों के बीच होने वाले वाद-विवाद की बात करेंगे.
उनके द्वारा नोटबंदी के ऐलान ने सभी लोगों को हक्का-बक्का करके रख दिया. शुरुआत में तो जनता ने उनके इस ऐलान पर अविश्वास प्रकट किया. परंतु कुछ समय पश्चात पुराने नोटों को बैंकों में जमा करवाने के लिए लंबी-लंबी लाइनों में भी घंटों खड़े रहे.
ब्लैक मनी आया सरकार के पास
देश में भ्रष्टाचारियों के पास जो काला धन 500 एवं हजार के नोटों के रूप में रखा हुआ था वो प्रधानमंत्री के द्वारा किए गए ऐलान के बाद एक कागज का टुकड़ा बन कर रह गए. उनकी कोई कीमत नहीं रह गई थी. प्रधानमंत्री द्वारा की गई नोटबंदी की वजह से सभी भ्रष्टाचारियों को छिपाया हुआ ब्लैक मनी सरकार को देना पडा. कई लोगों ने इसे फेंक दिया व कुछ लोगों ने इसे जला दिया.
अब जाली नोट बाजार में किसी भी काम के नहीं रह गए थे. इसलिए सरकार ने लोगों को जागरूक करने के साथ साथ प्रोत्साहित भी किया. सरकार ने लोगों से आह्वान किया कि उनके पास जितने भी 500 या 1000 के पुराने नोट पड़े हैं, वे उन्हें बैंकों में आकर जमा करवा दें.
बुजुर्गों ने रखी हुई हैं 500 व 1000 के नोटों की पोटलियाँ
सरकार के आह्वान के परिणाम स्वरूप देश की जनता ने 500 व 1000 के नोट बैंको में जमा कराने का मन बनाया. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के फैसले का सम्मान किया गया और जनता ने अपनी सारी पूंजी को बैंकों में जमा करवा दिया. परंतु हकीकत तो यह है कि वर्तमान में भी देश में हजारों लोगों के पास बैन हो चुके 500 व 1000 के नोट पड़े हैं.
इसका कारण यह है कि पुराने 500 व 1000 के नोट लीगल टेंडर नहीं रहने के बाद भी काफी लंबे समय तक बुजुर्गों ने 500 और 1000 के नोटों की गड्डियां अपनी पोटलियों में दबा कर रखी हुई थी. लेकिन अब ये गड्डियां उनके पोते-पोतियो के किसी काम नहीं आएंगी. ऐसे लोग अब सरकार से चाहते हैं कि सरकार उन्हें एक और मौका दें तो वे अपना पैसा बैंकों में जमा करवा देंगे तो उनका भी कुछ भला हो जाएगा.
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