हिसार । राज्य में अलग-अलग स्थानों पर पाए गए बेसहारा मासूम कई घरों में खुशियां बनकर पहुंचे हैं. केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशी दंपति भी स्टेट एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी और सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी के माध्यम से हिसार के बेसहारा बच्चों को गोद ले चुके हैं. इसी वर्ष 11 बच्चों को गोद दिया गया है.
इस साल 4 बेटियों को विदेशी दम्पत्ति को दिया गोद
डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड वेलफेयर ऑफिसर विनोद कुमार ने कहा है कि इस वर्ष कनाडा, स्पेन, फ्रांस और इटली के दंपतियों ने चार बेटियों को सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी के माध्यम से गोद लिया है. पिछले वर्ष एक बेटी सऊदी अरब और एक बेटी फ्रांस में जाकर खुशी पूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं. सारा के आंकड़ों के अनुसार राज्य के 99 फिसिदी लोग बच्चे को गोद लेते समय लड़के की मांग करते हैं.
यह होती है गोद देने की प्रक्रिया
अब तक 15 बच्चों की देश में और पांच बच्चों की फोरन कंट्री में गोद देने की प्रक्रिया को पूर्ण कर चुके एडॉप्शन एडवोकेट करण सिंह तंवर ने कहा है कि जब भी कोई बच्चा वेलफेयर कमेटी को मिलता है और उसके परिवार वालों का पता नहीं लगाता तो उसे गोद देने के लिए कोर्ट द्वारा कानून मुक्त करवाया जाता है. सभी मेडिकल एग्जामिनेशन के पश्चात ही कारा के पोर्टल पर बच्चे का डाटा अपलोड किया जाता है. उसके बाद प्रक्रिया आरम्भ होती है. फोरन कंट्रीस में ऑथोराइज़्ड फौरन एडॉप्शन एजेंसिया काम करती है. यह एजेंसी फोरन में रह रहे बच्चों की नियमित रूप से जांच करती हैं.
सभी बच्चों को पूरी कानूनी प्रक्रिया के अनुसार ही गोद दिया जाता है. इसके पश्चात गोद लिए गए बच्चों की विदेश स्तर पर संस्था कारा तीन साल तक निगरानी रखती है. ताकि किसी भी बच्चे को किसी प्रकार की परेशानी ना हो. -डॉ० प्रियंका सोनी, जिला उपायुक्त, हिसार.
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