हिसार I खाद्य से सम्बंधित बड़ी खबर सामने आ रही है. स्नैक्स यानी कुरकुरे, बिसकिट्स आदि किसको पसन्द नही होते. छोटे बड़े सभी लोग इन्हें बड़े चाव से खाते हैं लेकिन समस्या यह है कि ये स्नैक्स हमारे स्वास्थ्य के लिए ज्यादा लाभकारी नही होते. इसी वजह से लोग इन्हें खाने से बचते हैं और अपने बच्चों को भी खाने से मना करते हैं.लेकिन अब हिसार की “सेल्फ हेल्प ग्रुप” की महिलाओं ने इस समस्या का समाधान कर दिया है.
पौष्टिक कुरकुरे बना रही महिलाएं
हिसार की सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाएं प्रशिक्षण लेकर बाजरे के कुरकुरे और बाजरे की ही बिसकिट्स बना रही है. ये कुरकुरे व बिसकिट्स स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत ही गुणकारी व पौष्टिक है. ये पूर्ण रूप से हाईजेनिक है. छोटे बड़े सभी इसे खा सकते हैं. ये कुरकुरे व बिसकिट्स बहुत स्वादिष्ट भी हैं. इसी स्वाद के कारण ही आज हिसार का यह लघु उद्योग हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड तक फैल गया है.
आखों की रौशनी व खून बढ़ाने में सहायक
लोगों को ये कुरकुरे-बिसकिट्स इसलिए भी बहुत ज्यादा पसंद आ रहे हैं क्योंकि स्वादिष्ट होने के साथ साथ इनमे कई ऐसे जरूरी न्यूट्रिशनस भी है जिनसे आंखों की रौशनी बढ़ती है और शरीर से खून की कमी भी दूर हो जाती है. बाजरे में आयरन, फाइबर, फाइटो कैमिकल आदि तत्व मौजूद होते हैं. ये बॉडी की इम्युनिटी पावर को बढ़ाते हैं. डियाबिटीज़ और दिल के मरीज भी इनका सेवन कर सकते हैं.
कहाँ से हुआ इस लघु उद्योग का सृजन
बाजरे के इन पौष्टिक स्नेकस को बनाने की शुरुआत हिसार के रहने वाले अनुराग शर्मा ने की. अनुराग ने कुछ सालों पहले बाजरे जैसे मोटे अनाजो पर काम शुरू किया. उन्होंने सबसे पहले हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से स्नैक्स बनाने की तकनीक सीखी. उसके बाद उन्होंने बाजरे के कुरकुरे, बिसकिट्स, ब्राह्मी के बिसकिट्स जैसे 9 तरह की चीज़ें बनाने के लिए प्लांट लगाया. लेकिन इस काम के लिए लोगों की आवश्यकता थी. इसलिए उन्होंने गाँवो की तरफ रुख किया. फिर वे पहल, उजाला, नई पहल जैसे स्वयम सहायता समुहों के साथ जुड़े. वहाँ की महिलाओं को प्रशिक्षण देकर एक कंपनी बना ली और बाज़रे के प्रोडक्ट्स बनाना आरम्भ कर दिया. लोगों को ये प्रोडक्ट्स काफी पसंद आये. अनुराग इससे होने वाले लाभ को महिलाओं के साथ बांटते हैं जिससे महिलाओं को भी फायदा होता है और आय भी होती है