भिवानी | इस बार करवा चौथ पर कई शुभ संयोग एक साथ पड़ रहे हैं इसलिए इस व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया है. इस व्रत को लेकर सभी महिलाएं उत्सुक रहती हैं, इस दिन औरतों द्वारा इकट्ठी होकर भजन कीर्तन, कहानी पाठ इत्यादि किया जाता है. वर्तमान समय मे जब कोरोना का प्रकोप है तो इसे आप घर पर रहकर ही सुरक्षा से मना सकती हैं. जिससे आपको स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई समस्या न हो. चलिये आपको बताते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त एवं इससे सम्बंधित सभी विधान:
सबसे पहले तो जानते हैं कि व्रत पर पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है?
पंचांग व नक्षत्रों के मुताबिक इस बार करवा चौथ की पूजा हेतु शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 29 मिनेट से 6:48 बजे तक है. व कल चंद्रोदय रात 8 बजकर 16 मिनेट पर होगा. पांचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि का आरंभ 4 नवंबर को 3 बजकर 24 मिनेट पर होगा जो 5 नवंबर को शाम 5 बजकर 14 मिनेट तक रहेगी.
क्या है पूजा की विधि?
उत्तर भारत मे इस व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले सास द्वारा दी गयी सरगी खाकर की जाती है, व बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है. इसके बाद नहाधोकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत में सुहागिन महिलाएं कथा सुनती हैं. अतःकथा के लिए चौकी पर लौटे में जलभरकर रख लें. पूजा की थाली में सिंदूर, गेंहू, चावल, मिट्टी का करवा, मिठाई व बायना इत्यादि सामान रखते हैं.
विधान के अनुसार प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से ही व्रत की कथा की शुरुआत की जाती है. इसके बाद शिव परिवार का पूजन कर कथा सुनने का विधान है. करवे बदलकर बायना सास के पैर छूकर दे दें. रात में चंद्रमा को छलनी से देखकर ,इसके बाद पति को छलनी से देख पैर छूकर , पानी पीकर व्रत खोलना चाहिए. साथ ही जो महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी उन्हें अपने खानपान का आज ही विशेष ध्यान रखना होगा व रेशे वाले पदार्थों का सेवन करना होगा जिससे शरीर मे डिहाइड्रेशन की समस्या न हो |
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