हिसार । पशुपालन आज एक जीवन निर्वाह का साधन ही नहीं रहा अपितु यह पैसे कमाने का एक अच्छा बिज़नेस बनकर भी उभर रहा है, जिसमे पढ़े लिखे युवा भी रूचि दिखा रहे हैं. परन्तु यदि इसको करते समय सावधानियां बरती जाएं तो इसमें भारी नुकसान का जोखिम है, एवं दूसरी तरफ यदि इसे सतर्कता व सावधानी के साथ किया जाए तो लाखों रुपए की आमदनी का साधन बन सकता है.
पशुपालन में गाय व भैंस ही नहीं अपितु अन्य पालतू जानवर भी आजकल काफी कमाई का जरिया बन रहे हैं जिनमें गधे व घोड़े प्रमुख रूप से अग्रणी हैं. परन्तु इनमें भी ग्लैंड्र्स एवं फार्सी नामक संक्रामक रोग द्रुत गति से फैल रहे हैं जो इनके लिए जानलेवा साबित होते हैं ,एवं इंसानी शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. हिसार व रोहतक में इस रोग की पुष्टि इन जानवरों में हो चुकी है ,जो इनके पालन में लापरवाही, अज्ञानता व असंवेदनशीलता का नतीजा है.
इन बीमारियों के लक्षण निम्न हैं:-
त्वचा में फोड़े फुन्सी
तेज बुखार
खांसी,सांस लेने में तकलीफ,नाक से पीले रंग का पानी बहना इत्यादि.
बचाव के उपाय:-
- बीमार पशु की तत्काल स्वास्थ्य जांच करवाकर, स्वस्थ पशु को संक्रमित व बीमार पशु से अलग रखें.
- संक्रमित पशु का खाना, पानी अन्यों से अलग रखें.
- इस बीमारी से मृत पशु को कम से कम छह फीट गड्ढे में चूना व नमक डालकर दबाना चाहिये.
पशुपालन में क्या रखें सावधानी ?
पशुपालन को अपनाते समय पालकों को संवेदनशीलता जरूर अपनानी चाहिए, जिससे वे उन पशुओं के साथ भावनात्मक लगाव महसूस कर सकें. उनके बैठने के लिए नर्म गद्दे, स्वच्छ पानी, अच्छा चारा, समय-समय पर चिकित्सा जांच व जरूरी टीकाकरण,अत्यधिक काम न लेना, होब्लिंग, चारे को रखने के लिए कम ऊंचाई की रेक इत्यादि जिससे वे आरामदायक तरीके से रह पाएं. अतः ये सावधानी अपनाकर आप अपने व्यवसाय को ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं.
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