महेन्द्रगढ़ । हरियाणा के महेंद्रगढ़ ज़िले में महज 38 दिनों में देश का सबसे ऊंचा पक्षी घर बनकर तैयार हो गया है. आठ मंजिला इस पक्षी घर को बनानें में करीब 15 लाख रुपए की लागत राशि खर्च हुई है. अब इस पक्षी घर के उद्घाटन के लिए पत्र लिखकर सीएम मनोहर लाल से समय मांगा गया है.
जी हां, जिलें के गांव पाली के बाबा जयराम दास धाम में बनें इस चिड़ियाघर में तीन हजार पक्षी अपना परिवार बसा सकेंगे. मंदिर कमेटी और ग्रामीणों के सहयोग के साथ- साथ इस पक्षी घर के निर्माण के लिए गुजरात के पीटूं ठेकेदार का भी सहयोग लिया गया है. इसमें प्रयोग होने वाली आधुनिक निर्माण सामग्री भी गुजरात के शिद्धपुर से मंगवाई गई है. बता दें कि बाबा जयरामदास पशु-पक्षी एवं प्रकृति प्रेमी शिद्ध संत थे जिनके देशभर में लाखों भक्त हैं. बाबा के धाम पर 80 वर्ष पूर्व बने कमरे की ऊपरी दीवार पर पक्षियों के लिए बनाए गए घोंसलों से भक्तों को यह पक्षीघर बनाने का आइडिया मिला.
हर मौसम में पक्षी रहेंगे सुरक्षित
पक्षियों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए इस पक्षी घर के ढांचे को जमीन के 13 फीट अंदर से शुरू किया गया है. पहली मंजिल की उंचाई 14 फीट पर रहेगी. इसमें चढ़ने के लिए कोई सीढ़ी का प्रयोग नहीं किया गया है ताकि बिल्ली व अन्य छोटे जानवर पक्षियों पर हमला न कर सके. इस पक्षी घर के निर्माण में इस्तेमाल की गई सामग्री पत्थर व अन्य प्रकार के सामान से बनी हुई है, जो मौसम के अनुसार गर्म, ठंडी होने में सक्षम है. इसमें 23×25 फीट का चबूतरा बनाया गया है जिस पर लोग पक्षियों के लिए दाना डाल सकेंगे.
दो साल में ऐसे 25 पक्षी घर बनाने का लक्ष्य
पक्षी घर के संयोजक एवं बाबा जयरामदास कमेटी के वरिष्ठ सदस्य मास्टर कैलाश शर्मा ने बताया कि प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए पक्षियों के संरक्षण की बहुत आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि मंदिर कमेटी द्वारा आने वाले दो साल में जिलें में ऐसे 25 पक्षी घर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके लिए सामाजिक, धार्मिक संगठनों एवं मंदिर कमेटियों का पूरा सहयोग लिया जाएगा.
देश का पहला सबसे ऊंचा पक्षी घर बनाने का गौरव हासिल
देशभर का पहला सबसे ऊंचा पक्षी घर बनाने का गौरव हासिल करने पर मंदिर कमेटी के साथ- साथ ग्रामीणों का योगदान भी सराहनीय रहा है. इससे पूर्व राजस्थान के जिला नागौर के गांव पीह में 62 फुट ऊंचा पक्षी घर था लेकिन धाम पर बने आधुनिक पक्षी घर की ऊंचाई 73 फुट है जो देश में सबसे अधिक है. लगातार कम होती पक्षियों की संख्या को बढ़ाने के लिए यह सराहनीय पहल है.
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