चंडीगढ़ । मनोहर सरकार की तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद पर्यटन विभाग ने च्वयन ऋषि की तपोभूमि ढोसी हिल्स (नारनौल) को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की दिशा में कदम आगे बढ़ा दिए हैं. ये पहाड़ियां 1200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. पर्यटन विभाग ने प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सौंप दी है.
बीते दिनों पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव एमडी सिन्हा ने ढोसी की पहाड़ियों का पैदल दौरा कर वहां काफी वक्त गुजारा था. उन्होंने पर्यटन की संभावनाओं को तलाशने के लिए निवेश और आमदनी के हर पहलू पर बारीकी से शोध किया है. चूंकि अरावली पर्वत श्रंखला में शामिल ढोसी हिल्स को पर्यटन की दृष्टि से उबारने के लिए सारा खर्च प्रदेश सरकार को ही वहन करना होगा , इसलिए प्रधान सचिव एमडी सिन्हा ने हर पहलू का बारीकी से अध्ययन किया है.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल पर्यटन विभाग की रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं . उनकेे आदेश पर ही इस दिशा में आगे कदम उठाया जाएगा. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सीएम मनोहर लाल केन्द्रीय पर्यटन मंत्री से भी इस संबंध में विचार-विमर्श करने की तैयारी में है ताकि सांझा उपक्रम के जरिए इस योजना को अमलीजामा पहनाया जा सकें. इससे प्रदेश सरकार को वित्तीय बोझ भी कम सहन करना पड़ेगा.
सीएम मनोहर लाल खुद प्रधान सचिव एमडी सिन्हा के साथ इन पहाड़ियों का एरियल सर्वे करना चाहते थे लेकिन मौसम की परिस्थितियों अनुकूल न होने के चलते हेलिकॉप्टर को उड़ान भरने की मंजूरी नहीं मिली. मुख्यमंत्री की दिली ख्वाहिश है कि इन पहाड़ियों को पर्यटन स्थल के नजरिए से विकसित किया जाएं ताकि प्रदेश व देश के लोग इनके बारे में बारीकी से जान सकें.
जो संभव होगा,वो करेंगे: कंवर पाल
पर्यटन मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने कहा कि ढोसी की पहाड़ियों का विशेष महत्व है. खुद मुख्यमंत्री इन्हें पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने को लेकर उत्साहित हैं, जिसके अनुसार पर्यटन विभाग भी अपने काम में लगा हुआ है. उन्होंने कहा कि इन पहाड़ियों को विश्व के मानचित्र पर लाने के लिए जो भी संभव प्रयास हो सकेंगे,वो किए जाएंगे.
केन्द्र को ढोसी हिल्स का ये महत्व बताएंगे सीएम
- इन्हीं पहाड़ियों की जड़ी-बूटियों से पहली बार च्यवनप्राश बनाया गया था.
- शंखपुष्पी और कायाकल्प नामक औषधि का रहस्य भी इन पहाड़ियों की गोद में छिपा है.
- ढोसी की पहाड़ियों पर वैदिक काल के प्रसिद्ध ऋषि च्यवन का आश्रम भी है. इसे आग्नेयगिरी भी कहा जाता है.
- अज्ञात वास के दौरान पांडव भी इन पहाड़ियों पर आएं थे . महाभारत और पुराणों में भी इन पहाड़ियों का वर्णन है.
- ढोसी की उत्पत्ति त्रेता युग में हुई थी. यहां मौजूद कुंड में स्नान का विशेष महत्व है.