महेंद्रगढ़ में अगर स्कूल वाहन पॉलिसी के नियमों का होता पालन, तो नहीं जाती बच्चों की जान; पढ़ें नियम

महेंद्रगढ़ | वीरवार को महेंद्रगढ़ के कनीना में स्कूल बस पलटने के कारण 8 बच्चों की मौत हो गई. अब तक दो बातें साफ हैं कि ड्राइवर नशे में था और बस की रफ्तार काफी तेज थी. इसको लेकर ग्रामीणों ने चेतावनी भी दी थी. यह भी मांग उठ रही है कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. दूसरी तरफ, हाईकोर्ट के आदेश पर शिक्षा विभाग ने स्कूल वाहन नीति तो बना दी है, लेकिन धरातल पर इसका पालन नहीं के बराबर हो रहा है.

School Bus Safty

जानकारों की मानें तो इस नीति का पालन किया गया होता तो यह दुर्घटना नहीं होती और बच्चों की जान नहीं जाती. ऐसे में सवाल उठता है कि संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारी क्या कर रहे हैं. क्या उनकी लापरवाही से हादसे होते रहेंगे और मासूम बच्चों की जान जाती रहेगी. इसका जवाब शायद ही कोई अधिकारी दे सके.

ये हैं स्कूल वाहन पॉलिसी के नियम

  • सभी स्कूल वाहनों में एक अटेंडेंट का होना जरूरी है, अगर स्कूल वाहन में लड़कियां मौजूद हैं तो एक महिला अटेंडेंट का होना जरूरी है.
  • ड्राइवर और कंडक्टर वर्दी में हों और उन पर नेम प्लेट और ड्राइविंग लाइसेंस नंबर लिखा हो.
  • स्कूल वाहन की खिड़कियों पर काली फिल्म नहीं लगी होनी चाहिए.
  • स्कूली वाहनों में प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स एवं अग्निशामक यंत्र होने चाहिए तथा स्कूली वाहनों के चालक एवं परिचालकों को अपना मेडिकल अवश्य कराना चाहिए.
  • बस में ट्रैफिक साइन बोर्ड लगे होने चाहिए, स्कूलों के बाहर वाहनों की गति 25 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए.
  • बसों की गति नियंत्रित करने के लिए स्कूलों के बाहर स्पीड ब्रेकर बनाए जाएं.
  • सर्दी के मौसम में कोहरे के दिनों में प्रत्येक स्कूल वाहन के आगे पीली लाइटें लगानी चाहिए.
  • बस से तात्पर्य एम- 2 एवं एम- 3 श्रेणी के केवल उन्हीं वाहनों का उपयोग किया जाना चाहिए, जिनकी बैठने की क्षमता बिना चालक के 13 यात्रियों की हो.
  • स्कूल वाहन का परमिट सक्षम प्राधिकारी द्वारा बनाया जाए, सभी स्कूल वाहनों को पीले रंग से रंगा जाए.
  • वाहन के दोनों तरफ स्कूल बस लिखा होना चाहिए और यदि स्कूल वाहन स्कूल द्वारा किराए पर लिया गया है, तो स्कूल वाहन के आगे और पीछे दोनों तरफ ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए.
  • प्रत्येक स्कूल वाहन में स्टॉप सिग्नल आर्म साइन बोर्ड और स्पीड गवर्नर अवश्य होना चाहिए. इस संबंध में सक्षम प्राधिकारी द्वारा बनाया गया प्रमाण पत्र होना चाहिए.
  • स्कूल वाहन के लिए रिट्रैक्टिंग स्टेप का होना जरूरी है, जिसकी ऊंचाई जमीन से 220 मिमी से अधिक नहीं होनी चाहिए.
  • सभी स्कूल बसों के ऊपर स्कूल बस का चिन्ह होना चाहिए, जिसका आकार 350 मिमी होना चाहिए.
  • स्कूल बस के दोनों तरफ सुनहरे भूरे रंग की पट्टी होनी चाहिए, जिसका आकार 150 मिमी चौड़ा होना चाहिए और इस पट्टी पर स्कूल का नाम लिखा होना चाहिए.
  • सभी स्कूल बसों में दायीं ओर पीछे की ओर आपातकालीन द्वार की सुविधा और बस के पीछे की ओर आपातकालीन निकास की सुविधा होनी चाहिए.
  • सभी स्कूल वाहनों की खिड़कियों पर क्षैतिज ग्रिल होनी चाहिए और सभी स्कूल वाहनों के दरवाजों पर सेफ्टी लॉक होना चाहिए.
  • सभी स्कूली वाहनों में सीसीटीवी कैमरे की सुविधा होना जरूरी है.
  • स्कूल बस में ड्राइवर की सीट को छोड़कर सभी सीटों के नीचे स्टोरेज रैक की सुविधा होनी चाहिए, जिसमें बच्चों के स्कूल बैग, लंच बॉक्स और पानी की बोतलें रखी जा सकें.
  • सभी स्कूली वाहनों में पंजीकृत क्षमता के अनुसार ही बच्चों को बैठाया जाए.
  • सभी विद्यालयों में बच्चों को स्कूल बसों में चढ़ाते एवं उतारते समय सभी स्कूली वाहनों को स्कूल साइड में ही खड़ा किया जाए.
  • बस पार्किंग क्षेत्र स्कूल के अंदर ही होना चाहिए.
  • प्रत्येक स्कूल बस चालक के पास कम से कम 5 वर्ष का ड्राइविंग अनुभव और वैध ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए.
  • ड्राइवर के खिलाफ पहले से ही कोई पुलिस मामला दर्ज न हो, इसकी पुलिस द्वारा जांच की जानी चाहिए.
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