महेन्द्रगढ़ | हरियाणा में पंचायती राज संस्थाओं के पहले चरण के तहत 9 जिलों में चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं. इन चुनावों में कई रिकॉर्ड ध्वस्त हुए तो कई नए रिकॉर्ड कायम भी हुए हैं. सरपंच पद के चुनाव में किसी उम्मीदवार को सिर्फ 1 वोट से ही जीत मिली तो कही वोट बराबर रहने की सूरत में टॉस से सरपंच चुना गया. लेकिन इस बार के पंचायत चुनावों में सबसे खास बात जो रही है, वो यह है कि बहुत से गांवों में बीए, एमए, B.Com , इंजिनियरिंग आदि की पढ़ाई किए हुए उम्मीदवारों को सरपंच चुना गया है.
अंजू ने रचा इतिहास
हरियाणा के महेन्द्रगढ़ उपमंडल के गांव खुडाना की बेटी अंजू प्रदेश में सबसे कम उम्र की सरपंच बनी है. बीएएमएस प्रथम वर्ष की छात्रा अंजू ने अपनी प्रतिद्वंद्वी महिला उम्मीदवार को 244 मतों से मात दी है. 10 हजार की आबादी वाले इस गांव के लोगों ने 21 साल,1 महीना और 18 दिन की बेटी अंजू को गांव की चौधर का ताज सौंपा है. इससे पहले फतेहाबाद निवासी शिवानी पाठक 21 साल,2 महीने और 2 दिन की उम्र में सरपंच बनी थी लेकिन अंजू ने इस रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए सबसे कम उम्र की सरपंच बनकर नया इतिहास रच दिया है.
पढ़ी लिखी बेटी बनी सरपंच
डाक्टर नर्सी खुडाना की पढ़ी लिखी बेटी अंजू को ग्रामीणों ने सरपंच चुनकर बेटियों को नई पहचान दिलाने का काम किया है. ग्रामीणों ने एक अच्छी राजनीतिक प्रेरणा स्थापित कर क्षेत्र, समाज और राजनीति के क्षेत्र में नई दिशा दी है. इसके साथ ही बेटी को किसी से कम आंकने वाले लोगों को बेटी के महत्व को समझाने की भी सच्ची पहल की है. गांव की चौधर एक बेटी को मिलने पर ग्रामीणों में खुशी का माहौल बना हुआ है.
सर्वांगीण विकास को प्राथमिकता
हरियाणा में सबसे कम उम्र की सरपंच बनने का खिताब हासिल करने वाली अंजू खुडाना ने बताया कि इस मान- सम्मान के लिए सभी ग्रामीणों का हाथ जोड़कर स्वागत है. अंजू ने कहा कि ग्रामीणों ने उनमें जो आस्था जताई है, उसके बदले में वो गांव के सर्वांगीण विकास को प्राथमिकता देने का काम करेगी. गांव के विकास को लेकर हरसंभव प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि गांव में विकास कार्यों को लेकर कुछ नई पहल की जाएगी, जिससे क्षेत्र में गांव के नाम को अलग पहचान मिल सकें.
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