नई दिल्ली | केंद्रीय बजट में आने वाले अगले तीन सालों में देश की सभी रेलवे लाइन को विद्युतीकरण करने का लक्ष्य सरकार की ओर से रखा गया है. केवल इतना ही नहीं बल्कि इसके साथ ही वर्ष 2030 तक भारतीय रेलवे विश्व की पहली प्रदूषण रहित (PollutionFree) रेल बन जाएगी.
प्रदूषण से मिलेगी राहत, डीजल मुक्त होगी सभी रेल
आपको विशेष रूप से जानकारी दें दे कि यह अहम जानकारी रेल मंत्री पीयूष गोयल जी के द्वारा सभी के साथ सांझा की गई है. उन्होंने संवाददाताओं के साथ विशेष वार्ता करते समय कहा कि वर्ष 2023 तक सभी ट्रेनें डीजल मुक्त हो सकतीं हैं, जिसके कारण दिल्ली के साथ साथ पूरे देश को भविष्य में वायु प्रदूषण से राहत मिल सकती है. आगे उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार बनने से पहले रेलवे में हर साल केवल 40 से 45 हजार करोड़ का निवेश किया जाता था.
रेल के साथ सड़क का भी होगा विकास
इस वर्ष वित्त मंत्री ने रेलवे में लगभग 2 लाख 15 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने का ऐलान कर दिया है. इसी तरह से हाईवे को बड़ा बनाने के लिए भी एक बड़ी राशि का खर्च किया जा सकता है. ऐसे में रेल और सड़क में निवेश से विकास में तेजी देखने को मिल सकती है. इसी के साथ हमारा देश स्मार्ट भी बन सकता है. इस दौरान वह दिल्ली प्रदेश भाजपा कार्यालय में मीडिया से बातचीत कर यह सभी बड़ी और महत्वपूर्ण जानकारियां सांझा कर रहे थे.
सात अन्य रुटो पर हाई स्पीड और सेमी हाई स्पीड ट्रेने चलाने का रखा गया प्रस्ताव
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भूमि नहीं मिलने और कोरोना की मार की वजह से मुंबई व अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में इतनी ज्यादा देरी हो गई है. वहीं, दुसरी ओर गुजरात में लगभग 90 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण हो चुका है और यही सबसे बड़ी वजह है कि वहां काम के लिए टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं. साथ ही मे अगर हम बात करे महाराष्ट्र की तो वहां पर केवल 30 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण ही मुमकिन हो पाया है. ऐसे में आने वाले समय में देश के सात अन्य रूटो पर हाई स्पीड और सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने का प्रस्ताव रखा गया है.
100 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से रेल चलाने का रखा गया रेलवे के द्वारा लक्ष्य
इसके लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का काम भी तेज़ी से चल रहा है. वहीं, उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार के समय पर केवल 20 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होता था. ऐसे में अब एक लाख मेगावाट का उत्पादन होता है किन्तु, वर्ष 2022 तक करीबन 1.75 लाख मेगावाट और वर्ष 2030 तक लगभग 4.50 लाख मेगावाट अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. रेलवे का भी इस कार्य में एक बड़ा योगदान होगा और साथ ही वर्ष 2030 तक 100 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से रेल चलाने का लक्ष्य रखा गया है.
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