दिल्ली NCR । हरियाणा के NCR क्षेत्र में आने वाले जिलों में ईंट भट्टा संचालकों को को आने वाले दिनों में अब जिग जैग तकनीक से भट्ठा चलाने की अनुमति नहीं होगी. क्योंकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस तकनीक को भी भट्ठों से होने वाले वायु प्रदुषण को रोकने में असफल बताया है. हरियाणा NCR के ईंट भट्टा संचालकों को अब पीएनजी तकनीक का इस्तेमाल करना होगा. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से जारी फरमान के बाद ईंट भट्टा संचालकों की मुसीबत बढ़ गई है.
जानकारी के अनुसार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से फरवरी में ही ये आदेश जारी कर दिए गए थे. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से साफ कर दिया गया है कि NCR के जिलों में खराब हवा की क्वालिटी से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव, ह्रदय व फैफडे संबंधी बीमारियों के लिए भट्ठों से होने वाला वायू प्रदुषण उतरदायी है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ईंट भट्टा संचालकों को पहले वायु प्रदुषण रोकने के लिए जिग जैग तकनीक लगाने के लिए कहा था, लेकिन अब पीएनजी गैस इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है. आदेश नहीं मानने वाले भट्ठों को बंद करने का फैसला किया गया है.
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने चुनौतीपूर्ण वायु प्रदुषण ओर कोयलें से होने वाले प्रदुषण को लेकर चिंता जाहिर की है.इस संबंध में 5 जनवरी 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने साफ दिशा निर्देश जारी किए हैं कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश को मानना होगा. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की कमेटी भी प्रदूषण के लिए भट्ठों को जिम्मेवार मानती हैं,भले ही उन्होंने जिग जैग तकनीक का उपयोग किया हो. हालांकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गुजरात मोरबी इंडस्ट्रियल एरिया का उदाहरण देते हुए पीएनजी गैस के इस्तेमाल का सुझाव दिया है. नए फरमान के बाद से ईंट भट्टा संचालकों में खलबली मच गई है.
ईंट भट्टा संचालकों का दर्द
फिलहाल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों को लेकर ईंट भट्टा संचालकों का विचार मंथन चल रहा है व साथ ही लीगल राय भी ली जा रही है. एसोसिएशन के अधिकांश अधिकारी धर्म संकट में है,उनका कहना है कि पहले उन्होंने लाखों रुपए खर्च करके जिग जैग तकनीक को लगवाया था. इस तकनीक को लेकर भी तब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल व हरियाणा प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ने निर्देश जारी किए थे. अब नए फरमान में पीएनजी तकनीक को अपनाने के लिए कहा जा रहा है. भट्ठा संचालकों का कहना है कि जिन स्थानों पर भट्ठे लगें हुए हैं वहां पर पीएनजी गैस की पाईप लाईन ले कर जाना काफी खर्चीला होगा. इस फैसले के बाद ईंट भट्टा संचालकों व इन पर काम करने वाले लोगों के लिए रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. हरियाणा प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव धीरा खंडेलवाल का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय व नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों की 100 फीसदी पालना की जाएगी. भट्ठा संचालकों को इस आदेश से अवगत करा दिया जाएगा.
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