हरियाणा के चार जिलों में उद्योगों पर एक हफ्ते का लॉकडाउन, जानिए क्या रहेगा बंद

चंडीगढ़ | हरियाणा की मनोहर सरकार ने राज्य में बढ़ रहे प्रदुषण स्तर को लेकर कड़ा निर्णय लिया है. हरियाणा सरकार ने इस मामले को लेकर सख्ती दिखाते हुए एनसीआर क्षेत्र में शामिल 4 जिलों में एक हफ्ते का लॉकडाउन घोषित कर दिया है. अब एनसीआर क्षेत्र में शामिल इन जिलों में कोयलें व अन्य ईंधन से चलने वाली फैक्ट्रियों को 7 दिनों तक बंद रखने का फैसला लिया है. अब इन जिलों में 22 नवंबर तक सिर्फ CNG, PNG व केन्द्रीय प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड से प्रमाणित ईंधन से चलने वाली फैक्ट्रियां ही चल सकेगी.

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हालांकि उद्योगपतियों ने सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की है. दिल्ली में बढ़ते प्रदुषण स्तर की वजह से हरियाणा की आबो-हवा भी जहरीली होती जा रही है. ऐसे में कोर्ट ने भी दिल्ली समेत हरियाणा सरकार को भी फटकार लगाई थी. दरअसल एनसीआर क्षेत्र में शामिल हरियाणा के कई जिलों में AQI का स्तर 400 से पार जा चुका है जो बेहद गंभीर श्रेणी में दर्ज किया जाता है. वायु प्रदुषण की वजह से वातावरण में स्मॉग बना हुआ है जिसके चलते लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो गया है. इसी को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने ये कदम उठाया है.

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एनसीआर क्षेत्र में शामिल गुरुग्राम, फरीदाबाद, झज्जर व सोनीपत में जिला उपायुक्त को सलाह दी गई है कि वें सरकारी कार्यालयों में वर्क फ्राम होम का फार्मूला लागू करें ताकि वाहनों की आवाजाही कम से कम हों और प्रदुषण स्तर बढ़ने न पाएं. इन चारों जिलों में CNG वाहनों को छोड़कर अन्य वाहनों को चलाने के लिए ऑड- ईवन नियम लागू करने के निर्देश दिए गए हैं. सरकार का कहना है कि इससे सड़कों पर वाहनों की संख्या कम होगी और प्रदुषण स्तर घटेगा.

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इंडस्ट्री बंद रखने के निर्णय पर जहां कुछ उद्यमियों ने नाराजगी जताई है तो वहीं कुछ ने सरकार के इस फैसले का स्वागत भी किया है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले कर्मचारियों व आमजन का स्वास्थ्य उनके लिए सर्वोपरि है. प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया कि अगर कोयले से चलती फैक्ट्री पाई गई तो उसके खिलाफ एयर एक्ट 1981 के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी और पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क वसूला जाएगा. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सभी फैक्टरी और एसोसिएशन को इस नियम का पत्र लिख दिया है. सरकार के इस निर्णय से एनसीआर की सैंकड़ों इंडस्ट्रीज प्रभावित होंगी.

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एनसीआर क्षेत्र में शामिल उद्योगों को बंद करने के फरमान से आहत उद्यमियों ने कहा कि इस तरह के फरमान से उद्योगों में ऑर्डर कैंसिल होने का डर बना हुआ है. सरकार हर साल बढ़ते प्रदुषण स्तर को कंट्रोल करने की बजाय उद्योग धंधों को बंद करने के फरमान जारी कर देती है जबकि उनका माल जहां सप्लाई होता है वहां प्रदुषण स्तर कम होने के कारण उद्योग धंधे चालू रहते हैं. ऐसे में सरकार के इस फरमान से यह डर बना हुआ है कि हर साल उद्योगों के बंद होने की समस्या के चलते कही ऑर्डर स्थाई तौर पर कैंसिल न कर दें. उद्यमियों ने कहा कि सरकार को इस पर विकल्प तलाशने चाहिए न कि उद्योगों पर तुगलकी फरमान जारी किए जाएं.

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