नई दिल्ली | केंद्र सरकार के CGHS कार्डधारक केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है. सरकार ने इन कार्डधारकों के लिए अस्पताल की आपातकालीन सेवाओं को पहले से अधिक आसान बना दिया हैं, ताकि बिना किसी परेशानी के तुरंत प्रभाव से इलाज मिल सके. स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्रीय सरकारी स्वास्थ्य योजना (CGHS) के कार्डधारकों के लिए नए दिशा- निर्देश जारी किए हैं, जिनका मकसद स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक आसान बनाना है ताकि लोग सरकारी और सूचीबद्ध प्राइवेट अस्पतालों में कंसल्टेशन, जांच और इलाज के लिए बेहतर सर्विस पा सकें.
24 सितंबर 2024 को जारी ऑफिस मेमोरेंड में स्वास्थ्य मंत्रालय ने रेफरल से जुड़े पुराने नियमों में बदलाव किया है और नए नियमों को लेकर एक SOP जारी किया है.
इमरजेंसी मामलों के लिए नए CGHS नियम
अगर कोई इमरजेंसी स्थिति होती है तो अब हेल्थकेयर ऑर्गनाइजेशन (HCOs) को CGHS से रेफरल या एंडोर्समेंट लेने की जरूरत नहीं होगी. वे सीधे कैशलेस इलाज कर सकते हैं. बशर्ते कि मरीज को इलाज करने वाले अस्पताल के एक्सपर्ट से एक एमरजेंसी सर्टिफिकेट मिल जाए. इस सर्टिफिकेट के साथ अस्पताल बीसीए पोर्टल पर इलाज का दावा अपलोड करेगा.
इमरजेंसी उपचार के लिए अगर कोई जांच या इलाज CGHS की लिस्ट में नहीं है, तब भी रेफरल की जरूरत नहीं होगी. अस्पताल NHA पोर्टल के जरिए इसकी अनुमति ले सकता है और इसके लिए लोकल CGHS ऑफिस से कोई परमिशन लेने की जरूरत नहीं होगी.
रेफरल के नियमों में हुआ बदलाव
अब CGHS के माध्यम से मिलने वाले कंलस्टेशन मेमो तीन महीने तक वैलिड होंगे. अगर कोई CGHS मेडिकल ऑफिसर आपको किसी एक्सपर्ट को रेफर करता है, तो आप उस एक्सपर्ट से 3 महीने के अंदर अधिकतम 6 बार कंलस्टेशन ले सकते हैं. अगर प्राइमरी कंलस्टेंट सलाह दे तो आप दो अतिरिक्त एक्सपर्ट से सलाह ले सकते हैं. यह नियम सिर्फ CGHS चिकित्सा अधिकारियों के दिए गए रेफरल पर लागू होते हैं. सरकारी अस्पताल के रेफरल पर यह नियम लागू नहीं होंगे.
इन लाभार्थियों के लिए छूट
जो लाभार्थी 70 साल या इससे ज्यादा आयु के हैं, उन्हें अब किसी भी एक्सपर्ट से कंसल्टेशन लेने के लिए रेफरल की आवश्यकता नहीं होगी. इन लाभार्थियों को सूचीबद्ध अस्पतालों में किसी भी रजिस्टर जांच या प्रोसेस के लिए सीधे इलाज की अनुमति होगी. हालांकि, अगर कोई जांच या प्रक्रिया CGHS की लिस्ट में नहीं है, तो उसके लिए CGHS अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी.
स्पेशल मामलों के लिए फॉलो- अप नियम
कुछ स्पेशल बीमारियों से पीड़ित लाभार्थियों को प्राइमरी रेफरल के आधार पर बिना समय सीमा के कंलस्टेशन और जांच की अनुमति होगी इनमें ये बीमारियां शामिल हैं:
- हृदय शल्य चिकित्सा के बाद के मामले (Post-cardiac surgery cases)
- अंग प्रत्यारोपण के बाद के मामले (Post-organ transplant cases)
- न्यूरोसर्जरी के बाद के मामले (Post-neurosurgery cases)
- अंतिम अवस्था की गुर्दा बीमारी (End-stage renal disease)
- कैंसर का इलाज (Cancer Treatment)
- ऑटोइम्यून विकार ( Autoimmune disorders)
- तंत्रिका संबंधी विकार ( Neurological Disorders)
- इन बीमारियों से ग्रस्त लोगों को इलाज़ या जांच के लिए बार-बार रेफरल लेने की जरूरत नहीं होगी.