नई दिल्ली | 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र में सत्तासीन मोदी सरकार ने बड़ा पासा फेका है. अब सरकारी मंत्रालयों और विभागों में कॉन्ट्रैक्ट नौकरियों में भी अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण दिया जाएगा. मोदी सरकार ने यह फैसला जातीय जनगणना कराने की हो रही मांग के बीच लिया है.
केन्द्र ने रिट याचिका का दिया जवाब
केंद्र सरकार ने आरक्षण की मांग करने वाली एक रिट याचिका का जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सरकारी विभागों में 45 दिन या इससे अधिक की कॉन्ट्रैक्ट नौकरी में SC- ST और OBC को आरक्षण का लाभ मिलेगा. साथ ही, यह भी बताया गया है कि सभी मंत्रालयों और विभागों को अस्थायी पदों पर आरक्षण को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं.
संसदीय समिति की रिपोर्ट का दिया गया हवाला
‘लाइव लॉ’ के मुताबिक, केंद्र सरकार के पदों और सेवाओं में नियुक्तियों के संबंध में अस्थायी नियुक्तियों में एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों को आरक्षण दिया जाएगा, जो 45 या उससे अधिक समय तक चलेगा. ओएम में एससी और एसटी के कल्याण पर संसदीय समिति की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया है. इसमें यह पाया गया है कि अस्थायी नौकरियों में आरक्षण के निर्देशों का अक्षरश: पालन सभी विभाग नहीं कर रहे हैं.
पीठ ने रिट याचिका का किया निपटारा
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने रिट याचिका का निपटारा करते हुए स्पष्ट किया कि यदि इस कार्यालय ज्ञापन का उल्लंघन होता है तो याचिकाकर्ता या पीड़ित पक्ष को कानून ने अनुसार उचित उपाय का सहारा लेने की आजादी होगी.
पीठ ने केंद्र की ओर से पेश वकील का बयान दर्ज किया है, जिसमें कहा गया है कि 21 नवंबर 2012 के कार्यालय ज्ञापन का पालन करने में विफलता के मामलों से निपटने के लिए एक व्यवस्था मौजूद हैं. मालूम हो कि अस्थायी नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था 1968 से लागू है और इस संबंध में साल 2018 और 2022 में भी निर्देश जारी किए गए थे.
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