नई दिल्ली | केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एक बेहद ही जरुरी खबर हैं. खबर सामने आ रही है कि सातवें वेतन आयोग के बाद आठवां वेतन आयोग नहीं आएगा. मिली जानकारी अनुसार मोदी सरकार कर्मचारियों की बढ़ोतरी में सैलरी के लिए नया फार्मूला लाने की तैयारी कर रही है.
केन्द्रीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार, मोदी सरकार कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए ऐसा फार्मूला तैयार कर रही है जिसमें 50 फीसदी से ज्यादा महंगाई भत्ता होने पर सैलरी और पेंशन में अपने आप वृद्धि हो जाएगी. सरकार की मंशा है कि नया फार्मूला इस तरह हों, जिससे कर्मचारियों की सैलरी में समय- समय पर इजाफा होता रहें. इसे आटोमेटिक पे रिविजन का नाम दिया गया है. इसके तहत कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी का आधार उनकी परफॉर्मेंस पर रहेगा.
केंद्र सरकार की इस कवायद पर फिलहाल कर्मचारी संगठन अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि मौजूदा महंगाई दर को देखते हुए वेतन वृद्धि के लिए साल 2016 से चली आ रही सिफारिशों से उनके लिए गुजारा करना मुश्किल हो जाएगा. साथ ही इन लोगों का कहना है कि सरकार की तरफ से अंतिम फैसला आने तक इस मामले में प्रतीक्षा करनी होगी.
वहीं जस्टिस माथुर ने 7वां वेतन आयोग की सिफारिशों के वक्त ही इशारा दिया था कि हम पे-स्ट्रक्चर को अब नए फॉर्मूले (Aykroyd Formula) की तरफ ले जाना चाहते हैं. इसमें कॉस्ट ऑफ लिविंग को ध्यान में रखकर सैलरी तय की जाती है. आज के समय की डिमांड है कि कर्मचारियों को महंगाई की तुलना में सैलरी दी जाए.
ऐसा होने पर निम्न स्तर के कर्मचारियों को फायदा हो सकता है. लेवल मैट्रिक्स 1 से 5 लेवल वाले केंद्रीय कर्मचारी की बेसिक सैलरी कम से कम 21 हजार हो सकती है. हालांकि, इसके लिए फॉर्मूला बनना अभी बाकी है. नरेंद्र मोदी सरकार अगले वेतन आयोग के पक्ष में नहीं है.
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