नई दिल्ली, Chanakya Niti | आचार्य चाणक्य मौर्य साम्राज्य के समकालीन थे. उन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना में काफी अहम भूमिका निभाई थी. इतिहासकारों का कहना है कि मौर्य राजवंश की स्थापना की नींव आचार्य चाणक्य नें ही रखी थी. आचार्य चाणक्य को कोटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने कई शास्त्रों की रचना की है, जिसमें अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति प्रमुख है.
चाणक्य अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति प्रासंगिक है. आचार्य ने अपने नीति शास्त्र में कई प्रकार की जानकारी दी है. उन्होंने भाग्य से मिलने वाली चीजों के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने बताया है कि मां के गर्भ के समय ही बच्चे का भाग्य लिख दिया जाता है और उसके बाद मनुष्य चाह कर भी इसे नहीं पलट सकता. व्यक्ति की आयु के बारे में भाग्य में पहले ही लिख दिया जाता है. इसके लिए व्यक्ति का नियत समय पर जन्म होता है. वहीं, सांसारिक सुख- दुख भोगने के पश्चात निश्चित तिथि पर ही उसकी मृत्यु होती है. व्यक्ति अगर चाहे तो भी वह अपनी उम्र को नहीं बढ़ा सकता.
जन्म से पहले ही व्यक्ति के भाग्य में लिख दी जाती है ये चीजें
- क्रम को लेकर आचार्य चाणक्य का कहना है कि व्यक्ति जो भी कर्म करता है, उसके भाग्य में वह पहले से ही लिखा होता है. व्यक्ति पूर्व जन्म के कर्म से अज्ञान रहता है, इसलिए वह अपने भाग्य को कोसता है.
- आचार्य चाणक्य ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में सुख और दुख पहले ही लिख दिया जाता है. इसके लिए उसके पास जितनी भी धन और संपत्ति होती है वह भी पहले ही लिखी होती है और उसी के अनुरूप व्यक्ति को धन प्राप्त होता है.
- व्यक्ति की मृत्यु भी निर्धारित है. आचार्य चाणक्य की मानी जाए तो तय समय पर ही व्यक्ति की मृत्यु होती है. व्यक्ति लाख चाहकर भी धन और बल से मृत्यु को नहीं रोक सकता. तय समय पर व्यक्ति को धरातल छोड़कर जाना ही पड़ता है.
- धन की तरह विद्या भी पहले से ही भाग्य में लिख दी जाती है, इसी वजह से भाग्य में जितनी विद्या लिखी होती है, व्यक्ति को उतनी ही विद्या मिलती है. इंसान बल या धन से अधिक ज्ञानार्जन नहीं कर सकता.