नई दिल्ली । ब्रिटेन में कोरोना का नया स्ट्रेन पाया गया है. लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार पूरे विश्व में होने वाले टीकाकरण के कार्यक्रम पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इस नए स्ट्रेन में कोरोना वायरस की अनुवांशिक संरचना में कोई बदलाव नहीं है.
इसलिए आशा है कि जो टीके पहले से ही तैयार किए गए हैं, वह इस वायरस पर भी कार्य करेंगे. भारत के साथ-साथ विश्व के अनेक देशों में भी टीकाकरण की तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं और अनेक देशों में टीके लगाने भी शुरू हो गए हैं. ऐसे में दक्षिण अफ्रीका में और ब्रिटेन में वैज्ञानिकों की चिंता तो बढ़ी है लेकिन वह इस बात को बहुत बड़ा खतरा नहीं मानते हैं.
वायरस हुआ अधिक संक्रामक
ब्रिटेन में जो कोरोना का नया स्ट्रेन पाया गया है उसमें कुल 17 बदलाव देखे गए हैं. इनमें से चार बदलाव छोटे-मोटे है. परंतु स्पाईक प्रोटीन में एक बहुत बड़ा बदलाव पाया गया है. एम्स के पूर्व निदेशक डॉक्टर एमसी मिश्रा के अनुसार यह अनुवांशिक संरचना में बदलाव नहीं है. लेकिन स्पाईक प्रोटीन में होने वाले इस बदलाव की वजह से स्ट्रेन की कार्यप्रणाली बदल गई है. अब यह वायरस पहले से अधिक संक्रामक हो गया है. स्पाइक प्रोटीन की महत्वपूर्ण भूमिका तो संक्रमण में होती है. लेकिन अभी तक ब्रिटेन से कोई ऐसी रिपोर्ट नहीं प्राप्त हुई है जो यह सिद्ध कर सके कि यह अधिक घातक हो गया है.
अभी स्थिति स्पष्ट नहीं, मैचिंग टेस्ट से स्थिति होगी साफ
डॉ मिश्रा ने कहा है कि अभी तक जो टिके तैयार हुए हैं, उनका इस नए स्ट्रेन पर काम ना करने का कोई कारण नहीं है. हालांकि अभी तक बहुत सारी बातें स्पष्ट नहीं हुई है. वर्धमान महावीर कॉलेज के कम्युनिटी विभाग के निदेशक डॉ जुगल किशोर के अनुसार जब इस नए स्ट्रेन के जेनेटिक पैटर्न को मौजूदा स्ट्रेन के पैटर्न से मैच किया जाएगा, उसके पश्चात ही स्पष्ट होगा कि पहले से तैयार किए गए टिके इस पर असर करेंगे या नहीं. हालांकि इस समय कोरोना वायरस के कम से कम 8 मुख्य सट्रेन प्रचलित है और एक वैज्ञानिक तथ्य यह भी है कि एक ही टीका हर प्रकार के स्ट्रेन पर काम नहीं करता.
भारत पर नहीं होगा कोई बुरा असर
डॉ जुगल किशोर ने कहा कि जैसे कि हमारे देश भारत में अभी तक यह सट्रेन नहीं है. इसलिए भारत में हुए टीकाकरण की तैयारियों पर इसका ज्यादा कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि यह नया स्ट्रेन हमारे देश में प्रवेश न कर पाए. डॉ मिश्रा के अनुसार पूरे विश्व में कोरोना के 4000 से अधिक स्ट्रेन दर्ज किए गए हैं. भारत में भी बहुत सारे स्ट्रेन की रिपोर्ट आई है. लेकिन जो बदलाव हुआ है वह बहुत ही कम है.
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