नई दिल्ली | राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में प्रोपर्टी की डिमांड बड़ी तेजी से बढ़ रही है. दिल्ली की बात करें तो यहां खाली पड़े मकानों की संख्या का आंकड़ा 57% घटकर 86 हजार 420 रह गया है. रियल एस्टेट की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 मार्च के अंत में यह आंकड़ा 2,00,476 था.
इसी कड़ी में दक्षिण भारत के प्रमुख शहरों का जिक्र करें तो यहां खाली पड़े घरों की संख्या घटकर 2024 की पहली तिमाही में 1.76 लाख इकाई रह गई है जबकि 2018 की पहली तिमाही में यह 1.96 लाख इकाई थी. एनारॉक के वाइस चेयरमैन संतोष कुमार ने कहा कि एनसीआर बाजार के लिए जो चीज वास्तव में काम आई, वह नई सप्लाई को नियंत्रण में रखने के लिए डेवलपर का प्लान था.
आंकड़ों में बड़ी गिरावट
एनारॉक के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि एनसीआर में 2018 की पहली तिमाही से 2024 की पहली तिमाही के बीच करीब 1.81 लाख इकाइयों की नई सप्लाई देखी गई है. आंकड़ों के अनुसार हरियाणा की साईबर सिटी गुरुग्राम में बिना बिके मकानों की संख्या 53,136 इकाई से घटकर 33,326 इकाई हो गई है.
वहीं, नोएडा में 25,669 इकाइयों से 71 प्रतिशत की गिरावट के साथ 7,451 इकाइयां रह गईं जबकि ग्रेटर नोएडा में 61,628 इकाइयों के मुकाबले 70 प्रतिशत गिरकर 18,668 इकाई और गाजियाबाद में 37,005 इकाइयों से 70% घटकर 11,011 इकाई रह गई है.
सप्लाई और डिमांड का संतुलन
फरीदाबाद, दिल्ली और भिवाड़ी में संयुक्त रूप से मार्च 2018 के अंत के 23,038 इकाइयों से 31 मार्च, 2024 तक इनकी संख्या 31 प्रतिशत घटकर 15,964 इकाई रह गई है. आंकड़ों पर क्रिसुमी कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक मोहित जैन ने कहा कि विशेष रूप से दिल्ली-NCR में बिना बिक्री मकानों की संख्या में काफी कमी आई है.
गौड़ समूह के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मनोज गौड़ ने रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की हाल के सालों में हाई डिमांड को इसकी प्रमुख वजह बताते हुए कहा है कि सप्लाई और डिमांड का संतुलन बना हुआ है.
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