शराब घोटाले में जेल पहुंचे दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, जानें कितनी हो सकती है सजा

नई दिल्ली | राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. आम आदमी पार्टी की सरकार में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की शराब घोटाले में गिरफ्तारी हुई है. रविवार को CBI ने उनसे करीब आठ घंटे तक लंबी पूछताछ की और इसके बाद शाम सवा 7 बजे सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया गया.

Manish Sisodia

मिली जानकारी के अनुसार, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने IPC (Indian Penal Code) की धारा 120- B (आपराधिक साजिश), 477-A (धोखाधड़ी करने का इरादा) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा- 7 के तहत गिरफ्तार किया है.

इन धाराओं में कितनी हो सकती है सजा

धारा 120- B के तहत, 6 महीने से ज्यादा की जेल या जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा- 7 में अधिकतम 5 साल और कम से कम 6 महीने की जेल और जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं, IPC की धारा 477-A में 7 साल की जेल या जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है. इसमें कहा गया है कि अगर कोई लोकसेवक पद पर रहते हुए वैध पारिश्रमिक के अलावा कोई इनाम लेता है तो इसके तहत दंडनीय होगा.

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नहीं दे सके कोई जवाब

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, शराब घोटाले में पूछताछ के दौरान सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के सामने कई सबूत रखें. इनमें कुछ डॉक्यूमेंट और डिजिटल एविडेंस थे लेकिन डिप्टी सीएम मनीष इनका कोई जवाब नहीं दे सके. इतना ही नहीं, सीबीआई ने उन्हें सबूतों को मिटाने का भी आरोपी पाया है. इसमें उनकी मिलीभगत पाई गई है.

बता दें कि इस मामले में उस ब्यूरोक्रैट का बयान बेहद अहम है, जिसने सीबीआई को दिए अपने बयान में कहा था कि एक्साइज पॉलिसी तैयार करने में सिसोदिया का महत्वपूर्ण रोल रहा है और जीओएम के सामने आबकारी नीति रखने से पहले कुछ निर्देश भी दिए गए थे.

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एक ही जवाब, मुझे नहीं पता

बताया जा रहा है कि मनीष सिसोदिया जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. शराब नीति में कुछ ऐसे प्रावधान जोड़े गए थे, जो पहले मसौदे का हिस्सा ही नहीं थे. इस पर वो सीबीआई को ये नहीं बता सकें कि उन प्रावधानों को कैसे शामिल किया गया था. इसके अलावा, आबकारी विभाग में हुई चर्चा या फाइलों का कोई भी रिकार्ड नहीं था. अधिकतर सवालों के जवाब में उन्होंने यही कहा कि मुझे नहीं पता.

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आबकारी विभाग में कार्यरत एक अधिकारी के बयान ने ड्राफ्ट को बदलने में मनीष सिसोदिया के रोल को उजागर किया है. वहीं, जब्त किए गए डिजिटल एविडेंस की फॉरेंसिक जांच में सामने आया है कि ये प्रावधान WhatsApp पर एक अधिकारी द्वारा प्राप्त किए गए थे.

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