बदल जाएगा हाईवे पर सफर करने का अनुभव, नई प्रणाली GNSS होगी शुरू; आपको मिलेंगे ये फायदे

नई दिल्ली | भारत में कुछ ही समय के बाद नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर सफर करने के अनुभव में जबरदस्त बदलाव देखने को मिलेंगे. दरअसल, कुछ समय बाद सरकार फास्टटैग की जगह GNSS प्रणाली को शुरू करने वाली है. इसका इस्तेमाल टोल वसूलने में किया जाएगा. इस व्यवस्था के लागू होने के बाद आपके सफर का अनुभव एकदम से बदल जाएगा. बता दें कि कुछ समय पहले ही केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में एक प्रश्न का जवाब देते हुए बताया था कि कर्नाटक में बेंगलुरु और मैसूर के बीच एनएच- 275 और हरियाणा में पानीपत और हिसार के बीच एनएच- 709 (पुराना एनएच- 71ए) पर इस सिस्टम को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर टेस्ट किया जा चुका है.

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20 किलोमीटर की मिलेगी छूट

मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार, नई व्यवस्था के लागू हो जाने के बाद से जो वाहन चालक किसी टोल टैक्स से गुजरेंगे तो उन्हें स्थानीय यात्रा करने पर 20 किलोमीटर तक की छूट दी जाएगी. फिलहाल, इसका लाभ उठाने के लिए आपको अलग से आवेदन करना पड़ता है और आपको दस्तावेज भी प्रस्तुत करने पड़ते हैं. नई व्यवस्था में स्वतः ही 20 किलोमीटर तक चलने पर किसी प्रकार का कोई टोल टैक्स नहीं लगाया जाएगा.

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इनको नहीं देना होगा टैक्स

नई व्यवस्था के तहत, GNSS के जरिए टोल टैक्स को वसूला जाएगा. इसे वाहन में लगे ऑन बोर्ड यूनिट से जोड़ा जाएगा. इसके बाद, जितनी दूरी तय की जाएगी उसके अनुसार ही टोल लगेगा. अगर किसी व्यक्ति का घर टोल प्लाजा से 20 किलोमीटर के दायरे में है, तो उन्हें वहां से गुजरने में कोई भी टोल टैक्स नहीं देना होगा. नई व्यवस्था के तहत उन्हें स्वतः ही छूट मिल जाएगी.

वाहन में लगवाना होना GNSS OBU

इन सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए वाहन चालक को अपने वाहन के अंदर GNSS OBU को लगवाना पड़ेगा. इसके बाद, उसे संबंधित अधिकारियों से रजिस्टर्ड करवाना होगा. आपको यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आपके खाते में पर्याप्त राशि हो. इस खाते से ही आपका टोल टैक्स काटा जाएगा. ऐसे अनुमान लगाए जा रहे हैं कि अगले साल जून महीने तक करीब 2,000 किलोमीटर तक ही इस नई व्यवस्था को शुरू किया जा सकेगा. उसके बाद धीरे- धीरे इसका विस्तार किया जाएगा. दूसरे चरण के तहत अगले 9 महीनों के दौरान इसे 10,000 किलोमीटर तक और तीसरे चरण के तहत 15 महीनों में इसका विस्तार 1,50,000 किलोमीटर तक कर दिया जाएगा.

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