सुप्रीम कोर्ट का आदेश- कोरोना से मौत होने पर परिवार मुआवजे का हकदार, केंद्र इसकी रकम तय करें

नई दिल्ली । कोरोना महामारी के दौर में सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा फैसला सामने आया है. कोर्ट ने बुधवार को एक दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोरोना की वजह से मृत्यु होने पर परिजन मुआवजे के हकदार हैं. सरकार उन्हें मुआवजा दे. मुआवजे की राशि सरकार खुद तय करें. कोर्ट ने नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथोरिटी (NDMA) पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि वह मुआवजा दिए जाने की गाइडलाइंस जारी करें.

Supreme Court
SC ने दिए तीन और निर्देश

  • कोरोना से मौत होने पर मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करने की प्रक्रिया आसान की जाएं. अधिकारी इसके लिए गाइडलाइंस जारी करें.
  • फाइनेंस कमीशन के प्रस्ताव के आधार पर केंद्र उस व्यक्ति के परिवार के लिए इंश्योरेंस स्कीम बनाएं, जिसने इस महामारी से अपनी जान गंवाई है.
  • NDMA राहत के न्यूनतम मानकों का पालन करते हुए कोविड मृतकों के परिजनों के लिए गाइडलाइंस 6 हफ्तों के अंदर जारी करें.
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फैसले के दौरान कोर्ट की दो अहम टिप्पणियां

NDMA पर : आपका वैधानिक कर्तव्य है कि आप राहत के न्यूनतम पैमाने बताएं. ऐसा कुछ भी रिकार्ड में दर्ज नहीं है जिससे मालूम पड़े कि आपके द्वारा कोविड पीड़ितों के लिए राहत या मुआवजे की कोई गाइडलाइंस जारी की गई हों. आप अपना वैधानिक कर्तव्य निभाने में असफल रहे हैं.

केंद्र पर: किसी भी देश के पास सीमित संसाधन होते हैं. मुआवजा देने की प्रक्रिया हालात और तथ्यों पर आधारित होती है. ऐसे में यह उचित नहीं है कि हम केंद्र को निर्देश दें कि मुआवजे के लिए ये रकम फाइनल की जाएं. ये रकम केंद्र को ही तय करनी पड़ेगी क्योंकि प्राथमिकताएं केंद्र ही तय करता है.

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याचिका में थी चार लाख मुआवजा देने की अपील

एडवोकेट गौरव कुमार बंसल व रीपक कंसल द्वारा दर्ज याचिकाओं पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. याचिकाकर्ता ने कहा था कि कोरोना संक्रमण की वजह से जान गंवाने वाले व्यक्ति के परिजनों को चार लाख रुपए मुआवजा दिया जाए. याचिका में यह भी कहा गया था कि कोरोना से मौत होने पर मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करने की प्रक्रिया सरल की जाएं. बंसल ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के सेक्शन 12( iii) का हवाला दिया था और मुआवजे की मांग की थी.

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