नई दिल्ली | सर्द मौसम की सुगबुगाहट के साथ ही इन महीनों में धान की कटाई का सीजन शुरू हो जाता है. धान की कटाई के बाद बचे फसल अवशेष (पराली) का प्रबंधन न होने की सूरत में बड़ी संख्या में किसान इसे आग के हवाले कर देते हैं, जिससे वायु प्रदुषण चरम सीमा पर पहुंच जाता है. प्रदुषण स्तर इस ख़तरनाक लेवल पर पहुंच जाता है कि खुली हवा में सांस लेना दूभर हो जाता है. बता दें कि अक्टूबर- नवम्बर माह में दिल्ली- एनसीआर क्षेत्र समेत उत्तर भारत के राज्यों में प्रदुषण का बढ़ता स्तर एक चिंताजनक स्थिति पैदा कर देता है.
ऐसे में पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के उद्देश्य से केन्द्र और राज्य सरकारें मिल कर कई ठोस कदम उठाती है. इसी कड़ी में केन्द्र सरकार ने अब किसानों को ब्रिक्स पैलेट और पावर प्लांट्स लगाने के लिए आर्थिक मदद देने का फैसला लिया है. सरकार का प्रयास है कि किसान पराली जलाने की बजाय इसे बेचकर अतिरिक्त आमदनी करें.
बायोमास आधारित पैलेट की मांग में वृद्धि
बायोमास आधारित पैलेट की डिमांड में तेजी से वृद्धि हुई है. ऐसे में ब्रिक्स पैलेट और पावर प्लांट्स लगाने के लिए पराली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के अन्तर्गत आने वाले जिलों के किसानों के साथ समझौता किया गया है. पराली के बदले में किसानों को सही कीमत दी जाएगी ताकि उन्हें भी अतिरिक्त आमदनी हो सकें.
इतना मिलेगा अनुदान
सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देश के अनुसार, नॉन-टॉरफाइड पैलेट संयंत्र के लिए 14 लाख रुपए प्रति टन/ घंटा दिए जाएंगे. इस पर किसान और उद्यमियों को 70 लाख रुपए तक सब्सिडी प्रदान की जा सकती है. एक टॉरफाइड पैलेट संयंत्र के लिए अधिकतम सब्सिडी 28 लाख रुपए प्रति टन/ घंटा दी जा सकती है. वहीं, 1.5 करोड़ रुपए की अधिकतम सब्सिडी मिल सकती है.
इतने उत्पादन की संभावना
केन्द्र सरकार द्वारा प्रति वर्ष तकरीबन 1 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक धान की पराली पर आधारित पैलेट्स के उत्पादन का टारगेट निर्धारित किया गया है. वहीं, हरियाणा के पानीपत में लगे 2G इथेनॉल संयंत्र द्वारा हर साल 2 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान के भूसे का उत्पादन होने की संभावना है.
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