दिल्ली- मुंबई के बीच दौड़ेगी पहली वंदे भारत स्लीपर एक्सप्रेस ट्रेन, 4 घंटे पहले सफर होगा पूरा; जानें और खास बातें

नई दिल्ली | देशभर में रेल नेटवर्क को मजबूती देने की दिशा में निरंतर प्रयास हो रहे हैं, ताकि यात्रियों के सफर को आसान और कम समय में पूरा किया जा सकें. इसी कड़ी में आधुनिक सुविधाओं से लैस देश की पहली स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन (Vande Bharat Express) की बेंगलुरु में अनावरण के दौरान तस्वीरें सामने आ चुकी है. 10 दिन तक चलने वाले इस ट्रेन के स्टेटिक ट्रायल में ट्रेन के सॉफ्टवेयर इत्यादि का ट्रायल होगा.

Vande Bharat Train

मुंबई- दिल्ली रूट पर दौड़ेगी पहली ट्रेन

9 अगस्त को रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (RDSO) द्वारा मुंबई से अहमदाबाद के बीच 20 डिब्बों की वंदे भारत एक्सप्रेस (सीटिंग) का 130 km/ h की रफ्तार से ट्रायल सफल रहा है. इसके अलावा, मुंबई- दिल्ली के बीच 160 km/ h की रफ्तार से ट्रेन दौड़ाने वाली परियोजना का काम पूरा हो चुका है. ये सभी संकेत इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि देश की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस स्लीपर मुंबई से दिल्ली रूट पर चलाई जा सकती है.

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4 घंटे का बचेगा समय

वंदे भारत स्लीपर एक्सप्रेस ट्रेन के अनावरण अवसर पर केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों का विकल्प बनेगी. वर्तमान में राजधानी एक्सप्रेस दिल्ली से मुंबई के बीच 16 घंटे में सफर पूरा करती है, लेकिन वंदे भारत इस दूरी को 12 घंटे में तय करेगी. यानि 4 घंटे के समय की बचत होगी.

मिशन रफ्तार की होगी शुरूआत

केंद्रीय रेल मंत्री ने बताया कि पांच साल पहले मुंबई से दिल्ली के बीच 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए ‘मिशन रफ्तार’ परियोजना की शुरुआत हुई थी. 1478 किलोमीटर लंबे रूट और 8 हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना से जुड़े काम पूरे हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि मुंबई से अहमदाबाद तक 130km/h की रफ्तार से सफल ट्रायल हो चुका है. इसके बाद, कई चरणों में और अलग- अलग सेक्शन में 160 km/h के साथ ट्रायल होंगे.

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उन्होंने बताया कि रफ्तार से ट्रेन दौड़ाने के लिए पूरे रूट पर पटरियों के दोनों छोर पर फेंसिंग जरूरी है. पूरे रूट का करीब 50% हिस्सा यानि 792 किलोमीटर पश्चिम रेलवे के अधिकार क्षेत्र में है और इस पूरे हिस्से में कैटल फेंसिंग और वॉल फेंसिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है.

वहीं, ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के साथ ही उनकी सुरक्षा को बढ़ाने के लिए पूरे रूट पर भारतीय रेलवे की ‘कवच’ तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिन ट्रेनों में कवच लगा होगा, उनका आमने-सामने से टकराना असंभव है, क्योंकि टकराने से पहले ट्रेन में ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएंगे.

रफ्तार बढ़ाने के लिए हुएं ये बदलाव

वर्तमान में देश में ट्रेनों की औसत रफ्तार 70- 80 किलोमीटर प्रति घंटा है, लेकिन रेलवे इसे बढ़ाकर 160 किलोमीटर प्रति घंटा करना चाहता है. ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए रेलवे ने पटरियों के नीचे वाले बेस को चौड़ा किया है, ताकि स्पीड में भी स्थिरता बनी रहे. इसके पूरे रूट पर 2 x 25000- वोल्ट (25 हजार वोल्ट की दो अलग पावर लाइन) पावर लाइन बनाई गई है. इस परियोजना के पश्चिम रेलवे वाले क्षेत्र में 134 कर्व यानी मोड़ को सीधा किया जा चुका है.

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वहीं, 160 km/h की रफ्तार के लिए 60 किलो 90 यूटीएस वाली रेल (पटरी) की जरूरत होती है, जबकि भारतीय रेलवे में ज्यादातर जगहों पर 52 किलो 90 यूटीएस वाली पटरियां लगी हुई हैं. मुंबई- दिल्ली रूट पर परियोजना के मुताबिक, पटरियों को बदलने का काम लगभग पूरा हो चुका है. ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए पटरियों के नीच पत्थर की गिट्टियों का कुशन 250 मिमी से बढ़ाकर 300 मिमी कर दिया गया है.

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