खुशखबरी: चांद के करीब पहुंचने के बावजूद नहीं हुआ चंद्रयान 3 का ईंधन ख़त्म, अभी बचा है 150 किग्रा

नई दिल्ली | चांद पर 23 अगस्त को इसरो की ओर से विक्रम यानी लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश से पहले ही चंद्रयान 3 से एक बड़ी खबर सामने आई है. दरअसल, इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि 150 किलोमीटर से अधिक ईंधन बचे होने के कारण, प्रणोदन मॉड्यूल, जिसकी शुरुआत में 3- 6 महीने का जीवन होने की उम्मीद थी. अब कई वर्षों तक जीवित रहने की उम्मीद जग गई है.

Chandrayaan 3

लगभग 150 किलोग्राम बचा है ईंधन

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि Chandrayaan 3 में बहुत अधिक ईंधन है. हमारी उम्मीदों से कहीं अधिक है. इसमें बहुत अधिक ईंधन बचा हुआ है क्योंकि चंद्रमा के रास्ते में सब कुछ बहुत नाम मात्र का था. हमारे पास लगभग 150 किलोग्राम ईंधन बचा हुआ है.

मिशन में खर्च हुआ बहुत कम ईंधन

उन्होंने बताया कि 14 जुलाई को प्रक्षेपण के समय प्रणोदन मॉड्यूल में 1696.4 किलोग्राम ईंधन भरा गया था. लैंडिंग मॉड्यूल से अलग होने से पहले 15 जुलाई से 17 अगस्त के बीच सभी भार उठाने का काम पूरा हो गया था. अब तक मिशन विशिष्ट युद्धाभ्यास में कुछ मामूली सुधारों से थोड़ी मात्रा में ईंधन की खपत हो सकती है. हालांकि, इनमें से प्रत्येक ऑपरेशन में कितना ईंधन खर्च होगा, इसका कोई हिसाब- किताब नहीं है.

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कई महीनों या सालों तक कर सकता है चंद्रमा की परिक्रमा

मॉड्यूल में अभी भी 150 से ज्यादा किलोग्राम ईंधन बचा हुआ है. यह 3 से 6 महीने के प्रारंभिक डिजाइन अनुमान से कहीं अधिक समय तक चंद्रमा की परिक्रमा कर सकता है. इसरो का कहना है कि यह समय कई महीनों या सालों तक चंद्रमा की परिक्रमा कर सकता है. इसका मतलब है कि वैज्ञानिक उपकरण- स्पेक्ट्रो- पोलारिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेटरी अर्थ्स (SHAPE)- को पृथ्वी जैसी विशेषताओं के लिए चंद्र सतह का अध्ययन करने के लिए अधिक समय मिलेगा.

मंजिल के बेहद करीब पहुंचा मिशन

लैंडिंग मॉड्यूल, जिसमें विक्रम और प्रज्ञान (रोवर) शामिल हैं. उन्होंने रविवार को सुबह 2 बजे STOI मुद्रित होने के बाद दूसरे डीबूस्ट पैंतरेबाज़ी का प्रयास किया होगा. यदि यह सफल रहा तो विक्रम सॉफ्ट- लैंडिंग के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगा. चंद्रयान- 2 मिशन के दौरान युद्धाभ्यास के अंत में 749 किलोग्राम से अधिक ईंधन की अनुमानित आवश्यकता थी. इस चरण में चंद्रयान- 3 मॉड्यूल में समान मात्रा में या थोड़ा अधिक ईंधन की खपत होने की उम्मीद है.

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मिशन का आखिरी होगा यह ऑपरेशन

सोमनाथ ने कहा है कि जब तक युद्धाभ्यास के बाद कुछ सुधार की आवश्यकता नहीं होती. रविवार का डी- बूस्ट आखिरी ऑपरेशन होगा. यदि डी- बूस्ट योजना के अनुसार होता है तो अगला ऑपरेशन 23 अगस्त को होगा. जब हम लैंडिंग का प्रयास करेंगे. रविवार के युद्धाभ्यास का लक्ष्य विक्रम की वर्तमान 113 किमी x 157 किमी से कम करके लगभग 30 किमी और अपोलोन की लगभग 100 किमी करना होगा. चंद्रयान- 2 के दौरान दूसरे डीबूस्ट ने लैंडिंग मॉड्यूल को 35 किमी x 101 किमी की कक्षा में रखा था.

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लैंडिंग के वक्त हो सकती हैं बड़ी चुनौतियां

इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान के लैंडर मॉड्यूल को चंद्रमा पर उतारने में सबसे बड़ी चुनौती लैंडिंग से पहले इसे मोड़ना होगा. उन्होंने बताया कि जब लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा तो उतरने से पहले उसे 90 डिग्री सेल्सियस पर घुमाकर लंबवत होना होगा. यदि यह सुचारू और सफलतापूर्वक हो गया तो चंद्रमा की सतह पर उतरने की संभावना बढ़ जाएगी.

इसरो ने दी जानकारी

इसरो ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर चंद्रयान- 3 की लैंडिंग का समय पोस्ट किया. पोस्ट में इसरो ने वेबसाइट भी शेयर की है, जिसमें यान की लैंडिंग को लाइव देखा जा सकता है. सोशल मीडिया अकाउंट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट शेयर करते हुए इसरो ने जानकारी दी है कि जिस मिशन पर सबकी नजरें टिकी हैं वह कब पूरा होगा.

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