नई दिल्ली | राजधानी दिल्ली में ऑटो रिक्शा चालकों को लेकर परिवहन विभाग ने बड़ा फैसला लिया है. बता दे कि दिल्ली के हर ऑटोरिक्शा में अब ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) लगाया जाएगा. एक अधिकारी ने कहा कि ऑटो-रिक्शा चालकों के खिलाफ सरकार द्वारा निर्धारित मीटर बॉक्स के अनुसार किराया नहीं वसूलने की कई शिकायतों के चलते यह जरुरी कदम उठाया गया है.
सुनिश्चित करने का दिया निर्देश
परिवहन विभाग ने शहर के सभी ऑटोरिक्शा चालकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि उनके वाहनों में लगे लोकेशन ट्रैकिंग जीपीएस चालू हालत में हैं. ऐसा न करने पर वाहन चालकों को दंडित भी किया जाएगा. दरअसल मीटर, यात्रा के आधार पर सवारी को किराया दिखाता है. जीपीएस हर ऑटो-रिक्शा में मीटर बॉक्स के अंदर एक सिम कार्ड के साथ काम करता है.
90 हजार से अधिक ऑटो चालकों को जांचने के आदेश जारी
अधिकारियों का कहना है कि शहर के 90,000 से अधिक ऑटो चालकों को यह जांचने के लिए कहा गया है कि क्या उनका जीपीएस सिस्टम सही से काम कर रहा है, यदि नहीं तो इसे बदल लें. वाहनों में जीपीएस के परीक्षण और प्रतिस्थापन का काम दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मोडल ट्रांजिट सिस्टम (DIMTS) लिमिटेड कंपनी को सौंपा गया है. बता दे यह दिल्ली की क्लस्टर बस सेवा भी संचालित करता है.
परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कोविड-19 के बाद ऑटो रिक्शा यूनिट ने फिटनेस जांच के दौरान ऑटो-रिक्शा में जीपीएस की कार्यक्षमता की जांच करना बंद कर दिया था. इसके चलते अब कई ऑटो में जीपीएस काम नहीं कर रहा है और ड्राइवरों को जांच के लिए पैसे देने की जरूरत नहीं है. वर्तमान में केवल लगभग 10,000 ऑटो-रिक्शा के पास सक्रिय इंटरनेट कार्ड हैं जिनके माध्यम से वे जीपीएस तक पहुंचते हैं.
क्या है DIMTS फिटनेस?
बता दें कि DIMTS फिटनेस प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया के दौरान नियमित रूप से सिस्टम की जाँच करता है. 5 साल से अधिक पुराने ऑटो-रिक्शा को हर 2 साल में फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त करना होगा, जबकि पुराने ऑटो-रिक्शा को इसे नियमित रूप से प्राप्त करना होगा. हालाँकि, अधिकारियों ने कहा कि विभाग द्वारा पिछले 3 वर्षों में कोविड-19 महामारी के कारण ऐसा नहीं किया गया है.
ऑटो फेडरेशन ने कही ये बात
इस मामले को लेकर एनसीआर ऑटो टैक्सी ट्रांसपोर्ट फेडरेशन के दिल्ली अध्यक्ष एनएस मंसूरी ने कहा हमने विभाग को पत्र दिया है कि इस अनावश्यक उत्पीड़न को रोका जाना चाहिए. जीपीएस ने कभी भी हमारी मदद नहीं की और जो ऑटो चोरी हुए वे कभी बरामद भी नहीं हुए, भले ही उनमें जीपीएस काम कर रहा हो.
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