नई दिल्ली । मुनक हेड से दिल्ली को अतिरिक्त पानी छोड़ने पर रोक की मांग की एक याचिका का निपटारा करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट चीफ जस्टिस आधारित बेंच ने इस बाबत सक्षम प्राधिकारी को उचित निर्णय लेने का आदेश दिया. हरियाणा के गुरुग्राम निवासी आशीष चौधरी द्वारा दायर याचिका में मुनक हेड से दिल्ली को पानी नहीं छोड़ने का निर्देश देने की मांग की गई है, जहां से दिल्ली को आंबटित से ज्यादा पानी छोड़ा जाता है.
हाईकोर्ट ने याचिका पर दिया फैसला
बता दें कि याचिकाकर्ता ने 12 मई 1994 के समझौते के अनुसार यमुना नदी से पानी छोड़ने के निर्देश की मांग की थी, क्योंकि यमुना नदी से अतिरिक्त पानी की आपूर्ति 12 मई 1994 के समझौते का उल्लंघन है. साथ ही संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है. याचिका में यह भी कहा गया की सिंचाई और जल संसाधन विभाग हरियाणा दिल्ली को पैसे के लिए अतिरिक्त पानी की आपूर्ति कर रहा है. यमुना नदी के पानी को बेचने का यह कार्य अवैध और संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. हरियाणा के लोगों के हक पर डाका है.
हरियाणा के लोगों और हरियाणा राज्य में पशुओं को पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है. सरकार इस को अनदेखा कर, पैसे के लिए हरियाणा दिल्ली को अतिरिक्त पानी की आपूर्ति करवा रही है. याचिकाकर्ताओं के अनुसार यमुना नदी के पानी के बंटवारे के लिए हरियाणा दिल्ली और अन्य राज्यों के बीच 12 मई 1994 को एक समझौता किया गया था.
जल आबटन को भी नियमित करने और यमुना नदी के पानी के बंटवारे के समझौतों के लिए पार्टियों के बीच पानी के बंटवारे की जांच करने के लिए यमुना बोर्ड का गठन किया गया था. हरियाणा की ओर से कोई बाध्यता नहीं होने के बावजूद हरियाणा राज्य हरियाणा के लोगों को उनके वैध हिस्से के पानी से वंचित कर दिल्ली को 330 क्यूसेक पानी की आपूर्ति कर रहा है.
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