नई दिल्ली | केंद्र सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई यानि 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया. ये बिल कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पेश किया. नए संसद भवन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक बन गया है. लेकिन इस बिल के पेश होने के साथ ही विपक्षी दलों के हंगामे के बाद लोकसभा की बैठक स्थगित कर दी गई.
इस बिल का नाम सरकार ने “नारी शक्ति वंदन” रखा है. सरकार ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक का मकसद राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्माण में महिलाओं की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी को धरातल पर उतारना है.
वहीं, इस बिल पर मचे हंगामे के बीच आवाज उठाते हुए विपक्ष ने कहा है कि बिल को सरकार ने संसद सदस्यों को पहले जानकारी दिए बिना ही सदन में पेश कर दिया और पहले से उन्हें इस बिल की कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई.
इस बिल में कहा गया है कि परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आरक्षण लागू होगा और 15 सालों तक आरक्षण जारी रहेगा. विधेयक के मुताबिक, प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की अदला- बदली होती रहेगी.
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