नई दिल्ली । रंगों के त्योहार होली का हर किसी को बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाता है. इस बार होलिका दहन 17 मार्च और होली का त्योहार 18 मार्च को मनाया जाएगा. होली से 8 दिन पहले यानि 10 मार्च से होलाष्टक लग जाएगा. इस दौरान किसी भी शुभ कार्य के मुहूर्त की मनाही होती है. होलाष्टक के दिन से होली की तैयारियां शुरू हो जाती है. आईए जानते हैं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और महत्व …
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन तिथि-17 मार्च (सोमवार)
होलिका दहन शुभ मुहूर्त- रात 9 बजकर 20 मिनट से देर रात 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा.
कैसे किया जाता है होलिका दहन
होलिका दहन वाली जगह पर कुछ दिनों पहले एक सुखा पेड़ रख दिया जाता है और उस पर लकड़ियां व गोबर के उपले रखकर उसमें आग लगाई जाती है. इसके अगले दिन एक-दूसरे को रंग गुलाल लगाकर होली का पावन पर्व मनाया जाता है.
होली से जुड़ी पौराणिक कथा
होली से जुड़ी अनेक कथाओं में हिरण्यकश्यप और भक्त प्रहलाद की कथा सबसे खास बताई गई है. कथा के अनुसार असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल भी पसंद नहीं थी. बालक प्रहलाद को भगवान की भक्ति से विमुख करने का काम उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसे वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती है.
भक्त प्रहलाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रवेश कर गई लेकिन प्रहलाद की भक्ति के प्रताप और भगवान की कृपा की ऐसी मेहर हुई कि होलिका ही आग में जल कर राख हो गई. अग्नि से प्रहलाद के शरीर को कोई नुक़सान नहीं पहुंचा और इस तरह होलिका दहन का त्योहार मनाया जाने लगा.
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