नई दिल्ली | राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली- NCR समेत देश के कई राज्यों में मौसम का बिगड़ता मिजाज लोगों को बीमार कर रहा है. ऐसे में तेज बुखार और लंबे समय से खांसी से परेशान लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है. इंडियन काउंसिलिंग ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने पुष्टि करते हुए कहा है कि देश भर में तेज बुखार और खांसी के मौजूदा प्रकोप की वजह इन्फ्लूएंजा A के H3 N2 वायरस है.
यह वायरस अन्य वायरस की तुलना में अधिक प्रभावी है और इससे पीड़ित लोगों की संख्या तेजी से अस्पताल में भर्ती हो रही है. ICMR देश भर में अपने वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरीज (VRDLs) के नेटवर्क के जरिए वायरस से होने वाली बीमारियों पर निरंतर नजर बनाए रख रहा है.
ICMR में महामारी विज्ञान की प्रमुख डॉ निवेदिता गुप्ता ने बताया कि बीते साल 15 दिसंबर से अब तक 30 VRDLs के डेटा ने इन्फ्लूएंजा A H3 N2 के मामलों की संख्या में बढ़ोतरी का सुझाव दिया है. उन्होंने बताया कि अप्रैल में इस वायरस के कम होने की उम्मीद जता सकते हैं क्योंकि तापमान में वृद्धि होनी शुरू हो जाएगी. ऐसे में इस वायरस से पीड़ित रोगियों को एंटिबायटिक के ज्यादा इस्तेमाल से बचना चाहिए और निरंतर डाक्टर के सम्पर्क में रहना बेहद जरूरी है.
ये हैं लक्षण
ICMR के मुताबिक, अस्पताल में भर्ती H3N2 वायरस से पीड़ित रोगियों में 92% में बुखार, 86% को खांसी, 27% की सांस फूलना और 16% में घबराहट की समस्या पाई गई है. इसके अलावा, 16% को निमोनिया और 6% मरीजों में दौरे पड़ने के लक्षण पाए गए हैं. उन्होंने बताया है कि H3N2 वायरस से पीड़ित गंभीर मरीजों में से लगभग 10% को आक्सीजन और 7% को आईसीयू देखभाल की आवश्यकता हो रही है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव में इंटरनल मेडिसिन के निदेशक डॉ. सतीश कौल ने बताया कि इस वायरस से पीड़ित रोगियों को हमेशा ठंड लगने के साथ तेज बुखार आता है और लगातार खांसी होती है जो कई दिनों तक रहती है.
उन्होंने बताया कि पिछले दो महीनों से ऐसे रोगियों की संख्या का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है और इसमें बुजुर्गों की संख्या ज्यादा है. हालांकि, यह नया नहीं बल्कि दशकों से मौजूद वायरस है. 1968 में हांगकांग में इस वायरस की वजह से महामारी के हालात पैदा हो गए थे.
बचाव के उपाय
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि वैश्विक स्तर पर हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा की वजह से लगभग 50 लाख तक मामले सामने आते हैं. जिनमें से तीन लाख से 6.5 लाख लोगों की मौत सांस की बीमारी की वजह से होती है. उन्होंने बताया कि इस बीमारी पर काबू पाने का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है.
टीकाकरण और एंटीवायरल उपचार के अलावा हाथों को अच्छी तरह से धोना और खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकना चाहिए. वहीं, इस वायरस से पीड़ित रोगी से सोशल डिस्टेंस बनाना भी बेहद जरूरी है.
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