नई दिल्ली | देश हर क्षेत्र में काफी तरक्की कर रहा है. वहीं अब खबर है कि जिस भारतीय सेना को कुछ चीजों के लिए विदेश पर निर्भर होना पड़ता था, वह निर्भरता अब लगभग खत्म होने जा रही है क्योंकि भारत ने ऐसा मुकाम हासिल कर लिया है जिससे सैनिकों को परेशानी नहीं होगी. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा डिजाइन और विकसित शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम (SSBS) ने सेना की विदेशों पर निर्भरता खत्म कर दी है.
इस सिस्टम से हुआ संभव
खास बात यह है कि भारतीय सेना इन उत्पादों को एमएसएमई के तहत खरीदने की तैयारी कर रही है, ताकि मध्यम और लघु उद्योगों की अर्थव्यवस्था भी मजबूत बनी रहे. शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम को डीआरडीओ इंजीनियरिंग लैब के अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान विंग द्वारा विकसित किया गया है. इसकी मदद से कुछ ही घंटों में 300 मीटर लंबा और चार मीटर चौड़ा पुल तैयार करने में लगने वाली सामग्री अब देश में ही बनाई जा सकती है. पहले इसके स्पेयर पार्ट्स रूस और चेकोस्लोवाकिया से आयात किए जाते थे, लेकिन अब एलएंडटी कंपनी डीआरडीओ की मदद से इन्हें देश में ही बना रही है.
सेना जीरकपुर के खड़का सैपर्स इंजीनियर ब्रिगेड में प्रशिक्षण के लिए स्वदेशी उत्पादों का उपयोग कर रही है. ब्रिगेड के कर्नल धीरज पोहर ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत के तहत सेना अब कई चीजों के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं है. ड्रोन से लेकर शॉट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम तक भारत में बन रहे हैं.
ऐसे काम करता है एसएसबीएस
डीआरडीओ की प्रमुख इंजीनियरिंग प्रयोगशाला, अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (इंजीनियरिंग) पुणे ने एल एंड टी लिमिटेड के सहयोग से इस प्रणाली को डिजाइन और विकसित किया है. इस प्रणाली ने सैनिकों की त्वरित आवाजाही की मदद से संसाधनों की गतिशीलता में वृद्धि की है. इनका उपयोग सेना द्वारा युद्ध के दौरान कवच टैंक सहित अन्य सैन्य वाहनों की आवाजाही के लिए किया जाता है. साथ ही, आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सेना द्वारा भी ऐसे पुल बनाए जाते हैं.
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