Fastag की जगह अब GPS तकनीक से होगी टोल वसूली, जानें कैसे काम करेगी नई प्रणाली

नई दिल्ली | केंद्र की मोदी सरकार ने टोल प्लाजा पर भुगतान वसूली की नई तकनीक लागू करने की तैयारी कर ली है. राष्ट्रीय राजमार्गों पर अब टोल वसूली के लिए Fastag की जगह जीपीएस सिस्टम आधारित टोल संग्रह प्रणाली लाने का फैसला लिया है. लोकसभा चुनावों से पहले यानि अप्रैल 2024 से यह बदलाव देखने को मिलेगा. नई प्रणाली टोल प्लाजा को खत्म कर देगी और वाहनों को टोल टैक्स का भुगतान करने के लिए रूकने की आवश्यकता नहीं होगी.

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ऐसे काम करेगी नई प्रणाली

यह प्रणाली स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (ANPR) तकनीक का इस्तेमाल करेगी. हाइवे पर स्थापित सीसीटीवी कैमरे वाहनों की नंबर प्लेट को स्कैन करेंगे और उन्हें एक डेटाबेस से जोड़ेंगे. यह डेटाबेस वाहन के मालिक के बैंक अकाउंट से जुड़ा होगा. वाहन द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर, टोल शुल्क स्वचालित रूप से बैंक अकाउंट से काट लिया जाएगा.

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वाहनों की लंबी कतारें होगी खत्म

GPS आधारित नई टोल संग्रह प्रणाली फास्टैग तकनीक से कई मायनों में बेहतर होगी. यह प्रणाली अधिक कुशल होगी और वाहनों की टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी लाइनें खत्म हो जाएगी. इस प्रणाली के लागू होने से टोल प्लाजा पर ट्रैफिक जाम से निजात मिलेगी. इसके अलावा, यह प्रणाली पारदर्शी होगी और टोल चोरी को रोकने में मददगार साबित होगी.

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टोल वसूली का नया युग शुरू होगा

जीपीएस आधारित नई टोल संग्रह प्रणाली हिंदुस्तान में टोल भुगतान का नया युग शुरू करेगी. यह प्रणाली टोल प्लाजा को हटा देगी और वाहनों को रूकने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस तकनीक से जहां कम समय में यात्रा को पूरा किया जा सकेगा तो वहीं टोल चोरी पर भी अंकुश लगेगा.

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