नई दिल्ली | केंद्र के कृषि बिलों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर किसान आंदोलन का आज छठा दिन है. ऐसे में हरियाणा से लगे दिल्ली के सिंघु व टिकरी बॉर्डर को पुलिस ने आज लगातार दूसरे दिन भी बंद कर रखा है. किसानों से आने वाली दिसंबर की 3 तारीख को बातचीत करने पर अड़ी सरकार ने सोमवार को अपनी यह जिद अब त्याग दी है और आज यानी 1 दिसंबर को दोपहर 3 बजे 32 किसान संगठनों के प्रमुख नेताओं को इस मामले में पूर्ण रूप से संवाद करने के लिए उन्हे विज्ञान भवन बुलाया है.
सरकार से बातचीत से पहले जमकर किया किसानों ने विरोध
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जो भी किसान नेता 13 नवंबर की मीटिंग में शामिल हुए थे, केवल उन्हें ही वार्ता में शामिल होने का निमंत्रण दिया गया है. सरकार से बातचीत करने से पहले ही किसान नेता अपनी मीटिंग कर आगे की स्ट्रैटजी तय कर सकते हैं. किसानों ने सरकार से बातचीत करने से पहले दिल्ली व यू पी बॉर्डर पर किसानों का गुस्सा देखा गया. गाजीपुर व गाजियाबाद बॉर्डर पर किसानों ने बैरिकेड हटाने के लिए भी ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया है.
लगातर दुसरे दिन भी बॉर्डर बन्द, जाने कौन से रास्ते खुले हैं..
भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के घर हो रही इस मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जी आदि जैसे बड़े व दिग्गज़ नेता मौजूद रहे हैं. इससे पहले शाह ने बी एस एफ राइजिंग डे इवेंट में जाने के शेड्यूल को टाल दिया था. इसका कारण एक अहम आधिकारिक काम का होना बताई गई है.
हरियाणा से लगे दिल्ली के सिंघु व टिकरी बॉर्डर को पुलिस ने आज लगातार दूसरे दिन भी बंद ही कर रखा है. ऐसे में दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने ब्यान दिया है कि दिल्ली से हरियाणा की ओर आने जाने वाले लोगों के लिए झारोदा, धनसा, दौराला, कापसहेड़ा, रजोकरी NH -8, बिजवासन, पालम विहार और डूंडाहेड़ा बॉर्डर से आसानी से जा सकते हैं. यह बॉर्डर अभी खुले हुए हैं. बदोसराय और झटीकरा बॉर्डर से सिर्फ टू- व्हीलर को आने जाने की इजाजत दी गई है.
मुख्य अपडेट्स
- पंजाब किसान संघर्ष समिति के जॉइंट सेक्रेटरी सुखविंदर जी ने बातचीत में बताया है कि देश में किसानों के 500 से अधिक संगठन हैं. सरकार ने अभी तक केवल 32 समूहों को ही बुलाया है. जब तक सभी संगठनों को नहीं बुलाया जाता, तब तक हम बातचीत में किसी भी हालत में शामिल नहीं होंगे.
- हरियाणा की 130 खाप पंचायतें आज किसान आंदोलन में शामिल हो सकती है. दूसरी ओर, पंजाब की भी सभी पंचायतों ने हर घर से एक मेंबर को धरने में शामिल होने के लिए अपील की है.
- दिल्ली की टैक्सी व ट्रांसपोर्ट यूनियन भी बीते सोमवार को किसानों के समर्थन में आ गई है. उनके द्वारा कहा गया कि अगर आने वाले 2 दिन में कोई हल नहीं निकला तो वे हड़ताल कर सकते हैं.
32 साल बाद एक बार फ़िर से दिल्ली के दरवाजे पर ऐसा संघर्ष
सिंघु बॉर्डर पर 32 साल के बाद एक बार फिर से सबसे बड़े किसान आंदोलन का गवाह बना है. एक बार पहले भी 1988 में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के 5 लाख से भी ज्यादा किसान यहां पर जुटे थे, और उनके द्वारा भी यू ही प्रर्दशन किया गया था.
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