नई दिल्ली । शुक्रवार को भी केंद्र में कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी रहा. किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसानों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है. किसानों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी बाते नहीं मान लेती वह पीछे नहीं हटेंगे .
6 फरवरी को राष्ट्रव्यापी चक्का जाम करने की तैयारी में किसान
इसी बीच किसान संगठन 6 फरवरी यानी शनिवार को राष्ट्रव्यापी चक्का जाम करने की तैयारी में है. 26 जनवरी की घटना के बाद दिल्ली की सीमाओं पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. भारत में हो रहे किसान आंदोलन का रिहाना, ग्रेटर थनबर्ग समेत कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने समर्थन किया है. वहीं इसी मुद्दे को लेकर संसद में भी हंगामा हुआ. किसान आंदोलन को 72 दिन हो चुके हैं.
अभी भी किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. सिंधु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर पर इंटरनेट सेवाओं को बंद किया गया है. कल होने वाले चक्का जाम को लेकर किसानों की अहम बैठक होने वाली है. किसान संगठनों के ने कहा दिल्ली आने वाले 6 किसान अभी भी लापता है. वहीं विदेश मंत्रालय ने कहा कि 26 जनवरी को जो लाल किले पर हुआ उसको लेकर वैसी भावनाएं सामने आई जैसा कि 6 जनवरी को अमेरिकी संसद कैपिटल हिल पर हुई घटना मे सामने आई थी.
अगर किसानों ने शांतिपूर्वक रास्ता छोड़ा तो बड़ा संकट
इन मामलों में स्थानीय कानूनों के हिसाब से ही निपटा जा रहा है. किसान आंदोलन मे केंद्र पर असंवेदनशील रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए राकांपा प्रमुख और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि अगर किसानों ने प्रदर्शन का शांतिपूर्वक रास्ता छोड़ दिया, तो देश में बड़ा संकट पैदा हो जाएगा. इसके लिए सिर्फ भाजपा सरकार ही जिम्मेदार होगी. केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ समर्थन में अंतरराष्ट्रीय हस्तियां भी शामिल हो रही है. जब इस बारे में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत से पूछा गया तो उन्होंने अपने अंदाज में कहा मुझे क्या पता.
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