कम हो जाएगा NCR का एक तिहाई हिस्सा, हरियाणा- राजस्थान पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर

नई दिल्ली । राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) का एक तिहाई हिस्सा अब कम हो जाएगा. मंगलवार को नई दिल्ली में इस दिशा में एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की बैठक हुई जिसमें एनसीआर क्षेत्र तय किया गया. बैठक के दौरान सभी राज्यों को समान अवसर देने के फैसले पर सहमति हुई. अभी तक एनसीआर क्षेत्र की सीमा 55 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा थी जो अब घटकर 37,115 वर्ग किलोमीटर रह जाएंगी.

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केन्द्र सरकार के इस निर्णय से हरियाणा को निश्चित तौर पर राहत पहुंचेगी जो लगातार एनसीआर की सीमा तय करने की मांग कर रहा था. बता दें कि एनसीआर क्षेत्र के अन्तर्गत हरियाणा के 13 जिलें आते हैं जिसके चलते यहां प्रदुषण के समय एनसीआर क्षेत्र के नियम लागू होते हैं. पराली जलाने से लेकर गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन संबंधी शिकायतों की सबसे ज्यादा परेशानी हरियाणा को ही झेलनी पड़ती है. हालांकि उत्तर प्रदेश सबरीजन पर इसका ज्यादा असर नहीं देखने को मिलेगा. उत्तर प्रदेश के आठ जिले एनसीआर क्षेत्र में शामिल हैं. इस बैठक के दौरान निर्णय हुआ कि एनसीआर की सीमा राजघाट से 100 किलोमीटर रहेगी.

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इस नई योजना का सबसे ज्यादा प्रभाव हरियाणा पर देखने को मिलेगा. जींद, कैथल, करनाल जैसे जिलें एनसीआर क्षेत्र से बाहर हो जाएंगे. इसके अलावा भिवानी जिले का भी कुछ एरिया एनसीआर क्षेत्र से बाहर निकल जाएगा. सभी राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि वे 100 किलोमीटर की सीमा के हिसाब से मास्टर प्लान के बाद अपना सबरीजन प्लान तैयार करेंगे. इसके अतिरिक्त बैठक में निर्णय हुआ कि वर्तमान एनसीआर क्षेत्र में शामिल बड़े शहरों को नए मास्टर प्लान में भी शामिल किया जाएं,भले ही उसकी दूरी एनसीआर क्षेत्र से 100 किलोमीटर ज्यादा हों. इसके चलते राजस्थान के अलवर को एनसीआर में शामिल किया जा सकता है.

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