मेंटल कैलकुलेशन वर्ल्ड चैंपियन में भारत के लिए जीता गोल्ड मैडल, जानें नीलकंठ भानु की पूरी हिस्ट्री

नई दिल्ली | गणित एक ऐसा विषय है जिसे लेकर बच्चों के मन में कहीं न कहीं डर रहता है. बच्चे अक्सर गणित से दूर भागते हैं लेकिन बच्चों के मन से इस डर को दूर करने के लिए नीलकंठ भानु ने बहुत अच्छा काम किया है. वैसे नीलकंठ भानु का नाम तो सुना ही होगा 2020 में उनका नाम सुर्खियों में था. बच्चों को बढ़ने और गणित में रुचि विकसित करने में मदद करने के लिए नीलकंठ ने 2020 में अपना स्टार्टअप भांजू लॉन्च किया.

Neelkantha Bhanu

उन्होंने माइंड स्पोर्ट्स ओलंपियाड (एमएसओ) की मेंटल कैलकुलेशन वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता. उनके नाम पांच वर्ल्ड रिकॉर्ड हैं. इसके अलावा 50 लिम्का रिकॉर्ड हैं. हैदराबाद के नीलकंठ भानु “हर समय संख्याओं के बारे में सोचते हैं” और अब यह दुनिया का सबसे तेज़ मानव कैलकुलेटर है. आइए जानते हैं उनके बारे में सबकुछ…

यह भी पढ़े -  दिल्ली विस चुनाव के लिए AAP ने घोषित किए 11 प्रत्याशी, बीजेपी- कांग्रेस छोड़कर आए नेताओं को प्राथमिकता

एक साल तक पड़े रहे बिस्तर पर 

नीलकंठ ने बताया कि मैं स्कूल जाने वाला बच्चा था लेकिन पांच साल की उम्र में एक दुर्घटना की वजह से मुझे एक साल बिस्तर पर ही रहना पड़ा. मेरे माता-पिता को डॉक्टर ने बताया कि मेरी देखने, सुनने और समझने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. फिर मैंने पहेलियाँ आदि हल करना शुरू किया. मैंने अपने दिमाग को व्यस्त रखने के लिए मानसिक गणित की गणना करना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे इसमें मेरी दिलचस्पी बढ़ती गई.

यह भी पढ़े -  खुशखबरी: कश्मीर को सीधे दिल्ली से जोड़ेगी वंदे भारत ट्रेन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे उद्घाटन

भानु ने कहा कि मेरे माता-पिता ने मेरी रुचि देखकर मुझे शतरंज के लिए भेजा. उस दौरान एक-दो अंकगणित चैंपियनशिप आयोजित की जा रही थी जिसमें से मैंने एक में भाग लिया था. मैं तीसरे स्थान पर आया था और इसी तरह मैंने चैंपियनशिप में भाग लिया. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं सबसे तेज मानव कैलकुलेटर बनूंगा.

ऐसे करते थे अभ्यास

बचपन में भानु स्कूल से आने के बाद छह से छह घंटे अभ्यास किया करते थे लेकिन चैंपियनशिप जीतने और रिकॉर्ड बनाने के बाद से वह हर दिन इतना औपचारिक अभ्यास नहीं करते हैं. इसके बजाय वह अब अलग तरह से अभ्यास करता है जिसमें वह कहते है कि मैं हर समय संख्याओं के बारे में सोचता रहता हूं. भानु कहते हैं ‘मैं तेज संगीत बजाकर अभ्यास करता हूं, इस बीच मैं लोगों से बात करता हूं, मिलता हूं और क्रिकेट भी खेलता हूं क्योंकि यह आपके दिमाग को एक ही समय में कई काम करने के लिए प्रशिक्षित करता है.

यह भी पढ़े -  CBSE बोर्ड ने खत्म किया छात्रों का इंतजार, 10वीं- 12वीं की वार्षिक परीक्षा की डेटशीट हुई जारी

घरेलू और विदेशी छात्रों तक पहुंचने के इरादे से नीलकंठ भानु ने वर्ष 2020 में यूके में आयोजित ‘माइंड स्पोर्ट्स ओलंपियाड’ जीतने वाले पहले एशियाई बनने के बाद उसी वर्ष ‘भांजू’ की नींव रखी। जिसका मूल्यांकन 100 मिलियन डॉलर (810 करोड) तक पहुंच गया है. आज वह ‘भंजू’ के माध्यम से तीस हजार से अधिक छात्रों और उनके माता-पिता का विश्वास हासिल करने में सफल रहे हैं.

हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!

exit