नई दिल्ली | देश में 4 लेबर कोड के लागू होने की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है. यदि सब कुछ सही रहता है तो इस प्रक्रिया के नए नियम 1 जुलाई से लागू हो जाएगे. इस नई प्रक्रिया के लागू होने के साथ ही इन हैंड सैलेरी, कर्मचारियों की ऑफिस टाइमिंग, पीएफ कंट्रीब्यूशन के अलावा ग्रेच्युटी आदि पर भी प्रभाव दिखाई देगा. केंद्र सरकार की तरफ से लेबर कोड का ड्राफ्ट तैयार किया गया था. इस ड्राफ्ट के बाद राज्यों को अपनी तरफ से नियमों को तैयार करने के लिए कहा गया था.
1 जुलाई से बदलेगी ऑफिस टाइमिंग
कुछ दिन पहले ही श्रम और रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वरम तेली ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि केवल 23 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने ही इस जांच से संबंधित नियमों को तैयार किया है. क्या है यह ड्राफ्ट प्रक्रिया, केंद्र सरकार के ड्राफ्ट के अनुसार कामकाज के अधिकतम घंटों को बढ़ाकर 12 घंटे करने का प्रस्ताव पेश किया गया है.
इसे 4 -3 अनुपात के प्रति सप्ताह के हिसाब से बाटा गया. यदि आसान भाषा में समझा जाए तो 4 दिन ऑफिस और 3 दिन की छुट्टी होगी. यदि इसके हिसाब से कैलकुलेशन की जाए तो कर्मचारियों को 4 दिन में 48 घंटे यानी कि हर दिन 12 घंटे काम करना होगा, वही कर्मचारियों को हर 5 घंटे के बाद आधे घंटे का आराम दिया जाएगा.
इस प्रकार मिलेगा वेतन
यदि कोई भी कर्मचारी एक हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम करता है तो उसे ओवरटाइम के पैसे दिए जाएंगे. मूल वेतन कुल वेतन का 50% या उससे अधिक होना चाहिए. मूल वेतन से आपका पीएफ भी बढ़ जाएगा. जिस वजह से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन राशि में भी बढ़ोतरी होगी. वहीं केंद्र सरकार के लेबर कोर्ट में इंसेंटिव मेडिकल इंश्योरेंस व अन्य कई सुविधाओं का भी जिक्र है.
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