2 घंटे में दिल्ली से पहुंचेंगे चंडीगढ़ और जयपुर, अब 200 की रफ्तार से दौड़ेगी सेमी हाई स्पीड ट्रेन

नई दिल्ली | भारतीय रेलवे यात्रियों को सुपरफास्ट सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ी योजना पर काम कर रहा है. इसके तहत, दिल्ली से 200- 300 km की दूरी पर स्थित शहरों के लिए सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने की प्लानिंग हो रही है. केन्द्रीय मंत्री और गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि इसके लिए एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा यानि ट्रेन के लिए पूरा रास्ता जमीन के उपर से होगा.

elevated railway track

उन्होंने कहा कि दिल्ली- जयपुर के बीच सेमी हाई स्पीड ट्रेन के लिए एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने संबंधी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट रेल मंत्रालय के पास भेजी जाएगी और जैसे ही मंजूरी मिलती है, इस पर काम शुरू किया जाएगा.

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मिली जानकारी के अनुसार, एलिवेटेड रेल कॉरिडोर दिल्ली-जयपुर के अलावा, दिल्ली-अमृतसर (वाया चंडीगढ़), मुंबई-पुणे और बेंगलरु-चेन्नई के बीच भी बनाने पर विचार किया जा रहा है. वैसे इसके शुरुआती आइडिया को रेल मंत्रालय अपनी मंजूरी दे चुका है. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर दिल्ली से जयपुर और चंडीगढ़ की दूरी मात्र 2 घंटे में तय हो सकेगी. इस एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण पर प्रति किलोमीटर 150 करोड़ रुपए अनुमानित लागत बताई जा रही है.

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इस रफ्तार से दौड़ेगी ट्रेन

चूंकि, इन एलिवेटेड कॉरिडोर पर आम यात्री रेलगाड़ियों और मालगाड़ियों को नहीं चलाया जाएगा. ऐसे में वहां कंजेशन की समस्या तो बिल्कुल भी नहीं होगी. इसको देखते हुए एलिवेटेड कॉरिडोर की रेल लाइन इतनी क्षमता वाली बनाई जाएगी कि वह 200- 220 की स्पीड से दौड़ रही गाड़ी का भार वहन कर सके. इसके लिए कोई अलग ट्रेन नहीं डिजाइन की जाएगी बल्कि मौजूदा वंदे भारत को ही अपग्रेड करके 200-220 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाला बनाया जाएगा.

लोगों की थी मांग

राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि वंदे भारत की सफलता के बाद लोग मध्यम दूरी के लिए सेमी हाईस्पीड ट्रेनों की काफी मांग कर रहे हैं जिसको ध्यान में रखते हुए रेल मंत्रालय इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ सकता है. उन्होंने बताया कि एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने के लिए जगह की कोई कमी नहीं है. अभी एक ही ट्रैक पर लंबी दूरी की यात्री गाड़ियां, मालगाड़ी व लोकल ट्रेनें दौड़ती हैं जिससे परेशानी खड़ी होती है. ऐसे में एलिवेटेड कॉरिडोर बन जाने से उन ट्रेनों को अलग कर दिया जाएगा जिन्हें उस पर चलाया जा सकता है.

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