नई दिल्ली | किसानों की जिस ट्रैक्टर परेड का मकसद केवल तीन कृषि कानूनों को लेकर अपनी मांगों को रेखांकित करना था, वह मकसद बीते दिन यानी मंगलवार को साफ़ तौर पर नजर आ रहा था. ऐसे में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सड़कों पर हजारों की संख्या में उग्र प्रदर्शनकारी किसान नज़र आ रहे थे. वह सब लोग लाल किला पहुंच गए और साथ ही साथ उसकी प्राचीर पर एक धार्मिक झंडा भी लगा दिया जहां सिर्फ़ भारत का तिरंगा फहराया जाता है. वहीं, सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है कि ट्रैक्टर परेड को शूरू से इजाज़त देने के लिए पुलिस खिलाफ थीं.
किसान परेड को अनुमती देने के हक में नहीं थी दिल्ली पुलिस
दरअसल, दिल्ली पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसी गणतंत्र दिवस (26 जनवरी, 2021) के सुनहरे अवसर पर बीते लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की ट्रैक्टर परेड को मंजूरी देने के लिए शुरू से ही खिलाफ थी. ऐसे में सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है कि, गृह मंत्रालय की ओर से बुलाई गई कुछ पिछली बैठकों (किसान ट्रैक्टर परेड के लिए) में इस बात पर गंभीरता से चिंता जाहिर की गई थी और विचार विमर्श भी किया गया था कि अगर दिल्ली में किसानों को आने की अनुमति दी गई, तो हालात काफी ज्यादा मुश्किल हो सकते हैं.
जाने, दिल्ली पुलिस के मना करने के बाद भी, कैसे मिली किसानों को इजाज़त
हालांकि, दिल्ली पुलिस ने इस मामले पर गंभीरता से विचार करते हुए, किसान ट्रेक्टर परेड को इजाजत न देने की अपनी इस इच्छा को व्यक्त किया था किन्तु, इसके के बाद भी राजनीतिक स्तर पर आख़िरी फैसला लिया गया कि किसानों गणतंत्र दिवस के सुनहरे अवसर पर दिल्ली में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी.
ऐसा केवल इसलिए किया गया क्योंकि, वहीं दूसरी ओर सरकार को भी आशंका थी कि अगर उसने किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने नहीं तो तो किसान इससे भी बड़ा वह भयानक कदम उठाने के बारे में विचार कर सकते हैं. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने अलर्ट किए जाने के बाद भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टरों और किसानों की एंट्री को मंजूर किया और कुछ इस प्रकार से उन्हें प्रवेश करने से रोका नहीं गया.
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