नई दिल्ली | चौतरफा महंगाई की मार ने आमजन का हाल- बेहाल कर दिया है. एक तरफ ईंधन की कीमतें आसमान छू रही है तो वहीं दूसरी ओर रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं. तेल की कीमतें बढ़ने से हर चीज के दाम बढ़े हैं. वहीं, इन चीजों के दाम बढ़ाने में FMCG (तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुएं) कंपनियां भी पीछे नहीं रही हैं. बाजार में दैनिक इस्तेमाल से जुड़ी इन चीजों जैसे दूध, बिस्किट, नमकीन, चाय इत्यादि के दाम चुपचाप बढ़ गए हैं जो आम आदमी की जेब पर डाका डालने का काम कर रही है.
20% तक बढ़ी कीमतें
FMCG कंपनियों ने साबुन, टूथपेस्ट, मिल्क पाउडर, कॉफी आदि हर रोज प्रयोग में होने वाली वस्तुओं की कीमतों में जनवरी महीने में 3 से 20% तक की बढ़ोतरी कर दी है. कंपनियों ने इसके पीछे कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी को वजह बताया है लेकिन हर साल ये कंपनियां उन चीजों की कीमतें दबे पांव बढ़ा रही है जिनकी सबसे ज्यादा मांग रहती है.
मार्केट में बच्चों के मिल्क पाउडर को देखें तो, इसका 500 ग्राम का पैकेट पहले 350 रुपये का था. अब इसकी मात्रा 400 ग्राम कर दी गई है और रेट भी बढ़ाकर 415 रुपये कर दिया गया है.
रेट वही लेकिन पैकेट की मात्रा में कमी
कई चीजों के पैकेटों का वजन लगातार घट रहा है लेकिन जनता से कीमत पुरानी ही वसूली जा रही है. बढ़ती मंहगाई और छोटे होते पैकेटों से लोगों को गुमराह कर खुली लूट मचाई जा रही है. सबके ज्यादा कटौती बिस्किट में देखने को मिल रही है, जिसके पैकेट की मात्रा में 20% कमी आई है लेकिन रेट वही पुराना ही लिया जा रहा है.
बाजार में 6 महीने पहले जो बिस्किट का पैकेट 10 रुपए का मिलता था,वो आज भी 10 रुपए का ही मिल रहा है लेकिन मात्रा में कटौती से अंजान आमजन महंगाई की मार झेल रहा है. चिप्स, नमकीन, नूडल्स, हैंड वॉश और शैम्पू के पाऊच सब का यही हाल है. इनकी कीमत आज भी वही है लेकिन मात्रा में कटौती से आम आदमी अंजान है.
ऐसे समझें खाने के पैकेट्स में कटौती
सामान | कीमत मौजूदा | वर्तमान मात्रा | पहले की मात्रा |
बिस्किट | 5 रुपये | 52 ग्राम | 80 ग्राम |
चायपत्ती | 60 रुपये | 200 ग्राम | 250 ग्राम |
नमकीन | 10 रुपये | 42 ग्राम | 65 ग्राम |
मटर | 10 रुपये | 42 ग्राम | 65 ग्राम |
पीनट्स | 10 रुपये | 38 ग्राम | 55 ग्राम |
कॉफी | 10 रुपये | 5.5 ग्राम | 7 ग्राम |
मांग बढ़ने से बढ़ी कीमतें
देश में कोविड काल के दौरान इन चीजों की मांग में अचानक से बढ़ोतरी देखी गई. ऐसे में थोक बाजार में कंपनियों ने अपनी बिक्री को बनाए रखने के लिए प्रॉफिट मार्जिन को घटा दिया था. लेकिन अब मार्केट में सुधार आया तो कंपनियों ने मार्केट फंडा अपनाकर पैकेट को छोटा करके माल कम कर दिया और दबे पांव रेट बढ़ा दिए.
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