नई दिल्ली | देश में मंहगाई अपनी चरम सीमा पर है. हालांकि केंद्र सरकार अपने स्तर पर इसे नीचे लाने के लिए लगातार प्रयास भी कर रही है. इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति की अगले सप्ताह मीटिंग भी बुलाई गई है. ऐसे में विशेषज्ञों ने साफ संकेत दिए हैं कि आरबीआई एक बार फिर नीतिगत ब्याज दरों में इजाफा कर सकता हैं. इसका प्रभाव यह होगा कि लोन की ईएमआई (EMI) एक बार और महंगी हो सकती है.
0.40 फीसदी बढ़ सकती हैं रेपो दर
बता दें कि मौद्रिक नीति समिति की बैठक 6 से 9 जून को होगी. पिछली बार अप्रैल में हुई बैठक में एमपीसी ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था लेकिन मई की शुरुआत में एमपीसी की एमरजेंसी मीटिंग आयोजित कर आरबीआई ने ब्याज दरों में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी थी. पीटीआई के हवाले से खबर सामने आ रही हैं कि इस बार भी आरबीआई रेपो दर में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती हैं.
टमाटर ने लगाया महंगाई में तड़का
पीटीआई न्यूज एजेंसी का कहना है कि टमाटर के भाव ने मई में फिर से महंगाई में तड़का लगाने का काम किया है. मुख्य महंगाई दर 7.1 फीसदी पर पहुंच गई है. ऐसे में आरबीआई ब्याज दरों में वृद्धि कर दे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. हालांकि केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने, क्रुड सोयाबीन और सनफ्लॉवर ऑयल के आयात को शुल्क मुक्त करने और विमान के ईंधन की कीमत नीचे लाने के कई प्रयास किए हैं.
आगे और महंगा होगा लोन
पीटीआई न्यूज एजेंसी के हवाले से मिली जानकारी अनुसार, आने वाले महीनों में आरबीआई एक बार फिर ब्याज दरों में 0.35% से 0.50% तक की बढ़ोतरी कर सकता हैं. अगर रेपो रेट में इसी तरह बढ़ोतरी होती रही तो आने वाले दिनों में आमजन की जेब पर लोन की ईएमआई का बोझ और अधिक पड़ेगा.
रिपोर्ट में मंहगाई बढ़ने का भी अंदेशा जताया गया है. इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 में खुदरा महंगाई दर औसतन 6.8% पर रह सकती है, जो आरबीआई के 2 से 6% के लक्ष्य से काफी उपर है. अगर महंगाई दर का स्तर इसी तरह ज्यादा रहता है तो आरबीआई चालू वित्त वर्ष में ब्याज दरों को 5.65% तक ले जा सकता है. अभी रेपो रेट 4.40 प्रतिशत पर है.
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