नई दिल्ली | बढ़ती महंगाई में लोगों के लिए निराशाजनक खबर है. क्योंकि दाल-रोटी एक बार फिर महंगी होने लगी है. पिछले एक महीने में खुदरा बाजार में गेहूं और दालों के दाम 5 फीसदी और 4 फीसदी बढ़े हैं. पाम ऑयल को छोड़कर सभी प्रमुख खाद्य तेलों की कीमतों में भी इस दौरान मामूली बढ़ोतरी हुई. दूसरी ओर, आलू, प्याज और टमाटर के औसत खुदरा दामों में गिरावट आई है.
गेहूं का औसत खुदरा भाव
केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा हाल के महीनों में देश में गेहूं और दालों जैसी आवश्यक वस्तुओं की औसत खुदरा कीमतों में कोई तेज और निरंतर वृद्धि नहीं हुई है. इस हिसाब से छह दिसंबर को गेहूं का औसत खुदरा मूल्य एक महीने पहले के 30.50 रुपये की तुलना में बढ़कर 31.90 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है.
पिछले महीने ये था भाव
सरकार ने आटे के औसत खुदरा भाव की जानकारी नहीं दी. लेकिन सरकार के मूल्य निगरानी प्रणाली के विवरण से पता चलता है कि एक महीने पहले आटे की कीमत 35.20 रुपये से 6% बढ़कर 37.40 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है. दालों में चना दाल की कीमत में पिछले एक महीने में 2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. अभी एक महीने पहले चना दाल का औसत भाव 110.90 रुपये प्रति किलो था. मंगलवार को यह 112.80 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिका था. अन्य दालों के भाव लगभग स्थिर रहे.
देश के ज्यादातर इलाकों में गेहूं की कीमत फिलहाल एमएसपी से 30-40 फीसदी ऊपर है. कारोबारियों का कहना है कि मौजूदा भाव लगभग रिकॉर्ड ऊंचाई पर है. पिछले 4 महीनों में खुदरा में कीमतें धीरे-धीरे बढ़कर 32 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं.
महंगाई बढ़ने का ये है कारण
महंगाई बढ़ने का सीधा सा मतलब है कि आपके कमाए हुए पैसे की कीमत कम हो जाएगी. उदाहरण के लिए, यदि मुद्रास्फीति की दर 7% है, तो आपके द्वारा कमाए गए 100 रुपये का मूल्य 93 रुपये होगा. ऐसे कई कारक हैं जो किसी अर्थव्यवस्था में कीमतों या मुद्रास्फीति को बढ़ा सकते हैं. आमतौर पर मुद्रास्फीति उत्पादन लागत में वृद्धि, उत्पादों और सेवाओं की मांग में वृद्धि या आपूर्ति में कमी के कारण होती है.
मंहगाई के आगे बेबसी
भारत में महंगाई बढ़ने के दो मुख्य कारण हैं. खाद्य तेल की कीमतों में भारी वृद्धि के साथ-साथ ईंधन की कीमतों में भी वृद्धि हुई है. दालों की कीमतों में वृद्धि के कारण भारतीय खाद्य टोकरी का भी तेजी से विस्तार हुआ है. केंद्र सरकार ने दोनों की कीमतों को कम करने के लिए कदम उठाए हैं. पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी के साथ कच्चे सूरजमुखी तेल के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी गई है.
इन कदमों से महंगाई में मिली राहत
सरकार के इन कदमों से महंगाई में कुछ हद तक राहत जरूर मिली है, लेकिन यह पूरी तरह से कम नहीं हुई है. मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन में दिक्कतें महंगाई बढ़ा रही हैं. कोरोना महामारी के लॉकडाउन में मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन दोनों प्रभावित हुए. इससे इन्वेंट्री कम हो गई है और इसलिए उन सामानों की कीमतें बढ़ गई हैं जो बाजारों में कम पहुंच रहे हैं. इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध की भी बड़ी भूमिका रही है.
महंगाई बढ़ने के 6 प्रमुख कारण
- डिमांड पुल इन्फ्लेशन तब होता है जब कुछ उत्पादों और सेवाओं की मांग अचानक तेजी से बढ़ जाती है.
- लागत-पुश मुद्रास्फीति तब होती है जब लागत में वृद्धि होती है. इसे उपभोक्ता को दिया जाता है.
- अगर पैसे की आपूर्ति उत्पादन की दर से तेज़ी से बढ़ती है, तो इसका परिणाम मुद्रास्फीति हो सकता है.
- कुछ अर्थशास्त्री वेतन में तेज वृद्धि को भी महंगाई का एक कारण मानते हैं. इससे उत्पादन लागत बढ़ जाती है.
- सरकार की नीति से लागत वृद्धि या मांग-प्रेरित मुद्रास्फीति भी हो सकती है. इसलिए सही नीति जरूरी है.
- कई देश आयात पर ज्यादा निर्भर हैं, जहां डॉलर के मुकाबले मुद्रा के कमजोर होने से महंगाई बढ़ती है.