नई दिल्ली | केंद्र की मोदी सरकार (Modi Govt) ने महिला कर्मचारियों के लिए पेंशन नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है. नए नियमों से महिलाओं के अधिकारों में इजाफा होगा. नए नियमों के तहत, अब महिलाएं अपने पति की जगह बेटा- बेटी को फैमिली पेंशन का हकदार बना सकती हैं. डिपार्टमेंट ऑफ पेंशन एंड पेंशनर्स वेलफेयर (DOPPW) ने आधिकारिक बयान में बताया है कि केंद्र सरकार ने सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स 2021 में बदलाव किए हैं. नए बदलाव के अनुसार, अब सरकारी क्षेत्र में कार्यरत महिला कर्मचारी अपने बच्चों को पेंशन दे सकेंगी.
बेटे या बेटियां होगी फैमिली पेंशन की हकदार
मोदी सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले का असर सामाजिक ताने-बाने पर दिखाई देगा. इस फैसले के सामाजिक एवं आर्थिक असर भी नजर आएंगे. पहले महिला कर्मचारी अपने पति को ही फैमिली पेंशन में नॉमिनी बना सकती थी लेकिन अब बेटे या बेटियों में से किसी को भी पेंशन का हकदार बना सकेगी.
केंद्रीय राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह फैसला महिलाओं को समान अधिकार दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगा. अब महिला कर्मचारी की मौत की स्थिति में पेंशन बेटा या बेटी को मिल सकेगी. फिलहाल, महिला कर्मचारियों के लिए यह प्रावधान नहीं था. उन्हें पति को ही फैमिली पेंशन का हकदार बनाना पड़ता था. सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही वह परिवार के किसी अन्य सदस्य का चुनाव कर सकती थीं.
करना होगा लिखित आवेदन
जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमने महिला कर्मचारियों के हाथ में ताकत दे दी है. इस सुधार से वैवाहिक कलह, तलाक की प्रक्रिया, दहेज या अन्य कोर्ट केस में फंस चुके संबंधों की स्थिति में महिलाओं को अतिरिक्त अधिकार मिल सकेंगे. DOPPW के अनुसार, महिला कर्मचारियों या पेंशनधारियों को एक लिखित आवेदन देना होगा. इसमें उन्हें पति की जगह बेटे या बेटी को नॉमिनी बनाने की मांग करनी होगी.
सरकार ने कहा है कि यदि महिला कर्मचारी के बच्चे नहीं हैं तो उसकी पेंशन पति को मिलेगी. हालांकि, यदि पति किसी किसी नाबालिग या दिव्यांग बच्चे का संरक्षक है तो उसके वयस्क होने तक वह पेंशन का पात्र होगा. बच्चे के वयस्क होने के बाद पेंशन उसे ही मिलेगी.
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